Home » चौपाल » डा० विवेक श्रीवास्तव आपको राहुल निरखी पहले ही समर्थन का आश्वासन दे चुके थे, फिर आपने स्वयं एक पोस्ट डालकर राहुल निरखी को बिकाऊ साबित करने की कोशिश क्यूँ किया ? डा० विवेक श्रीवास्तव के नाम अभय निरखी का खुला खत,

डा० विवेक श्रीवास्तव आपको राहुल निरखी पहले ही समर्थन का आश्वासन दे चुके थे, फिर आपने स्वयं एक पोस्ट डालकर राहुल निरखी को बिकाऊ साबित करने की कोशिश क्यूँ किया ? डा० विवेक श्रीवास्तव के नाम अभय निरखी का खुला खत,

ट्रस्ट के चुनावो को देखते हुऐ कई लोग राहुल निरखी से मिलकर सहयोग माँग रहे थे इसी सन्दर्भ मे व्यंग्य के तौर पर एक छोटा सा पोस्ट डाल कर मोल तोल की राजनिति को उजागर करने की कोशिश किया । डा० विवेक श्रीवास्तव जिनको राहुल निरखी पहले ही समर्थन का आश्वासन दे चुके थे, ना जाने कैसे इसको मुद्दा बनाकर स्वयं एक पोस्ट डालकर राहुल निरखी को बिकाऊ साबित करने की कोशिश किया । चूकि पोस्ट लिखा तो समर्थको ने राहुल निरखी को ना जाने क्या कहा, एक अति घोर से भी अति घोर समर्थक ने राहुल निरखी और मेरे पिता स्व० आर०एन० निरखी को भी अप्रत्यक्ष रूप से बेईमान बता दिया । राहुल निरखी मेरे बडे भाई है, उनकी अपनी सोच है, मगर एक बात का मेरा दावा है कि मेरे निरखी परिवार ने कभी भी किसी भी चुनाव मे किसी तरह के लाभ प्राप्त करने की कोशिश नही किया । मगर हम किसी का अंध समर्थन भी नही करते । पिताजी के आचरण पर ऊंगली उठाने वाला कमेंट का परिस्थितियो वश मै स्क्रीन शाट नही ले पाया और थोडी देर बाद डिलीट कर दिया गया । व्यक्ति का नाम मुझे याद है । डाक्टर साहब की उसी पोस्ट पर कल मैने उनको आईना दिखाने के लिये सप्रमाण यह लिखा था । जो फेसबुक की शब्दो की सीमा की वजह से कई कमेंट के रूप मे डाला था । सुबह 8 बजे के बाद 2 या 3 कमेंट छोडकर बाकि मुख्य कमेंट डिलिट कर दिये गये (जैसा कि यह लेग हमेशा करते है ) और मुझे ब्लाक कर दिया है । मेरी लिखी बातो को आप स्वयं पढिये और प्रमाण को चेक कीजिये । शक हो तोमुझसे समाधान को कहिये। पत्र लिखने का उद्देश्य कतई यह नही है कि आप उनको वोट ना दे या कि कल मै आपसे कहूँ कि आप फलाँ को दे क्योकि मेरा मानना है कि कायस्थ के 10 साल के बच्चे की भी अपनी सोच होती है । आप अपना वोट किसे देगे यह स्वयं आप तय करेगे यह खुला खत लिखने का एक और सिर्फ एक ही मकसद है आप मेरे इस खत को डाक्टर साहब तक पहुचा दे । और आप जिन जिन मुद्दो पर मुझसे सहमत है या आपको लगता है कि मै सही हूँ उन पर उनसे जवाब माँग ले । 3 जरूरी बाते उनको बताना जरूरी है 1.मेरा नाम अभय है हिन्दी शब्दकोष से मेरे नाम का अर्थ समझ ले । 2.मै ना अपराधी हूँ ना ही आपराधिक सोच है मेरी ना ही किसी तरह की धमकी देता हूँ किसी को । 3.मै क्षमा शब्द से सख्त परहेज करता हूँ अर्थात ना क्षमा मांगता हूँ ना ही ग्रहण करता हूँ -------- डा० विवेक श्रीवास्तव के नाम खुला खत---- --- राहुल निरखी की व्यंग्य मे डाली गयी पोस्ट को आपने मुद्दा बनाया धन्यवाद, हिम्मत की दाद देता हूँ राहुल भाई की जिसने बंद कमरे मे चलने वाली गुप्तनिति को उजागर करने की हिम्मत की हालाँकि तीर हवा मे था और गंतव्य पर पहुचने से पहले आपने ले लिया । मै समझता हूँ अच्छी तरह से कि क्यो यह तीर आपके द्वारा लपका गया राजनिति मे वोटो के लिये बाकि सबको अफवाहो के बल पर बेईमान और अपने आपको महा ईमानदार साबित करने की कोशिश करने वालो से अक्सर ऐसा होता है । और जब मै यह कह रहा हूँ तो मै आपको कारण प्रमाण सहित दे रहा हूँ पिछले चुनाव मै आपके कई सभाओ मे मै उपस्थित रहा था हर सभा मे आप कहा करते थे आप आम बनाम खास की लडाई मे आम लोगो की लडाई लड रहे है मगर ठीक उसी समय आप फेसबुक पर बार बार लिख रहे थे कि “ हमारी लडाई आम बनाम खास की है हम खास ( सामान्यजन ) का प्रतिनिधित्व कर रहे है । “ और यह बात अगर एक बार कही होती तो अनदेखा किया जा सकता था मगर यह बात आपकी टाईम लाइन पर अलग अलग तारिखो मे कई बार कही गयी है । स्क्रीन शाट न० 0, 1 व 2 समझना चाहता हूँ सभा मे मुँह से बोलते वक्त सामने बैठे अपने वर्करो के लिये आम का प्रतिनिधित्व का नारा देना और घर जाकर फेसबुक पर खास लोगो का प्रतिनिधित्व करने का नारा देना कौन सी सदाचारी राजनिति का हिस्सा है । जिसने अपने सरकारी नौकरी मे सदाचार का पालन ना किया हो उससे सार्वजनिक जीवन मे शुचिता की उम्मीद करने वालो को कौन सी उपमा दूँ समझ मे नही आ रहा है । ऐसा मै इसलिये कह रहा हूँ क्योकि दिनाँक 20 जुलाई 2017 को आपने एक फोटो भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा के साथ लगायी थी जो अब भी मौजूद है आपकी टाइम लाइन पर, स्क्रीन शाँट भी लगा रहा हूँ । स्क्रीन शाँट नम्बर 3 क्या सरकारी सेवा मे रहते हुए राजनैतिक दल के पदाधिकारीयो से मिलना या उसका सार्वजनिक प्रदर्शन करना सरकारी सेवा नियमावली का उल्लंघन नही है क्या सरकारी सेवा मे इस तरह के कृत्य सुचिता और सदाचार की श्रेणी मे आयेगा सरकारी सेवा मे रहते हुए शांति मार्च मे भाग लेना अगर सेवा नियमावली का उल्लंघन है तो पकडे जाने पर हत्यारो के फाँसी की माँग करना कैसे सेवा नियमावली के अनुकूल कैसे हो जायेगा ? एक और पेपर कटिंग आपके टाइम लाइन पर मौजूद है जिसमे अधिवक्ता राजेश श्रीवास्तव के शूटरो के पकडे जाने पर आपका बयान है जिसमे आप शूटरो को फाँसी की सजा दिये जाने की माँग कर रहे है । मुझे नही मालूम मेडिकल की पढाई करने वालो के सिलेबस मे कानून भी विषय होता है या नही मगर इन्टरमीडियेट का छात्र भी जानता है कि हत्या के मामले रेयरेस्ट आफ द रेयर केस मे ही फाँसी की सजा का प्रावधान है ना कि पेपर मे छपे बयानो के सरकारी सेवा मे रहते हुए शांति मार्च मे भाग लेना अगर सेवा नियमावली का उल्लंघन है तो पकडे जाने पर हत्यारो के फाँसी की माँग करना कैसे सेवा नियमावली के अनुकूल कैसे हो जायेगा ? स्क्रीन शाट नं० 4 यह वही राजेश श्रीवास्तव है ना जिनके आत्मा की शाँति हेतु निकाले गये कैंडिल मार्च मे आपने यह कहकर आने से इंकार कर दिया था कि आप सरकारी सेवा मे है इसलिये ऐसे आयोजनो मे नही आ सकते । स्क्रीन शाट नं० 5 चुनाव मे सस्ती लोकप्रियता के लिये औचित्य विहीन बयान और माँग क्या उचित है । इसको कहते है बिना कुछ किये धरे श्रेय लूटने की राजनिति । तमाम लोगो की तरह मै भी विचलित था राजेश श्रीवास्तव की हत्या से इसलिये नही कि वह कायस्थ है या कि मेरे रिश्तेदार है बल्कि इसलिये कि बिना किसी मजबूत बैकग्राउंड के किसी भूमाफिया से इस कदर भिडने वाली शख्सियत कम ही होती है । ऐसी शख्सियतो की शहादत को सलाम करने मे धर्म जाति और गुटबाजी से दूर रहना चाहिये । मै जानता हूँ आप जवाब देने के बजाय आप मुझे या तो ब्लाक करेगे या फिर मेरे कमेंट को डिलीट करेगे जैसा आपके समर्थको द्वारा मेरे आर्टिकल पर किया गया । पिछले दिनो मैने कमला प्रसाद सोसायटी पर एक आर्टिकिल लिखा था । मुझे उम्मीद थी आपकी तरफ से मुद्दो पर सवाल आयेगे आपके समर्थक आये तो मगर मुद्दो पर सवाल के नाम पर सिर्फ अस्पताल के नाम से आगे नही बढ पाये। जैसे ही मैने अस्पताल के नाम का डाक्युमेंटरी प्रुफ डाला चेलो ने अपना सवाल ही मिटा दिया ताकि डाक्युमेंटरी प्रुफ भी हट जाये । पक्के वाले चेले ने तो मर्यादा ही तोड दी जब बहस मे हिस्सा लेने वाली महिलाओ को दूशरो के इशारे पर चलने वाला बता दिया । क्या इस बुद्धिजीवी बिरादरी के लोग आधी आबादी के बारे मे इस स्तर की सोच रखते है क्या समाज की महिलाये अगर किसी मुद्दे पर अगर किसी पुरूष के पक्ष मे मुखर होगी तो बजाय उनके सवालो का जवाब देने के उनपर अनर्गल आरोप लगाये जायेगे । पक्के चेले के इस आचरण से सतीश चित्रवंशी जी भी व्यथित हो गये थे । स्क्रीन शाट नं० 7 ऐसा नही था कि आपको मालूम नही था क्योकि राहुल निरखी ने इन महाशय का नाम लेकर कुलभाष्कर स्मृति संस्थान नामक व्हाट्स अप ग्रुप मे लिखा था । जिसका स्क्रीन शाट लगा रहा हूँ । मगर तब भी आप मौन ही रहे । शायद आपकी मौन स्वीकृति रही होगी चेले के इस कृत्य पर । स्क्रीन शाट नं० 6 पिछली बार आपके कार्यालय मे सभा के दौरान फोन करके दूशरे प्रत्य़ासियो की दावते पता करने वाला व्यक्ति मुझ बाजीगर पर इल्जाम लगा रहा था कि मै 5000 रूपया लेकर पोस्ट लिख रहा हूँ । बाजीगर को बोला है जाओ बाजीगरी दिखाओ सो निकल पडा हूँ बाजीगरी दिखाने और यह मेरी बाजीगरी का पहला नमूना है विभिन्न वेश धारण करके आता रहूँगा वोटकटवा प्रत्य़ाशियो को बेनकाब करने ............................................. अभय निरखी भड़ास में लिखे विचार लेखक के अपने हैं कायस्थ खबर का उनसे सहमत या सहमत होना ज़रूरी नहीं है I लेख के संदर्भ में आप अपने विचार नीचे कमेन्ट बाक्स में दे सकते है 

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