Home » चौपाल » नवभारत टाइम्स देश को किस एजेंडे के तहत गुमराह करने का कार्य कर रहा है ? अगर आज आप सोये रहे तो कल कायस्थों का गौरवमयी अतीत कहीं षड्यंत्रकारियों के द्वारा ख़त्म न कर दिया जाये !- चेतन खरे

नवभारत टाइम्स देश को किस एजेंडे के तहत गुमराह करने का कार्य कर रहा है ? अगर आज आप सोये रहे तो कल कायस्थों का गौरवमयी अतीत कहीं षड्यंत्रकारियों के द्वारा ख़त्म न कर दिया जाये !- चेतन खरे

हमारे सम्मानित कायस्थ भाइयों एवं बहिनों ! भगवान चित्रगुप्त के आप सभी वंशजों को राष्ट्रवादी कवि/लेखक एवं विचारक 'चेतन' नितिन खरे का प्रणाम ! आज नवभारत टाइम्स में प्रकाशित एक लेख पढ़ा; जिसे पढ़कर लेखक की अल्पज्ञता पर बेहद दुःख हुआ । क्या हमारे समाज की चेतना इतनी शून्य हो चुकी है कि कोई संजीव खुदशाह जैसा सिरफिरा आपकी उत्पत्ति एवं पूर्वजों के संदर्भ में भ्रांतियां फैलाने लगे ? सम्मानित बुद्धजीवियों ! आपके मोबाइल पर नवभारत टाइम्स का वो लिंक भेज रहा हूँ । इसे पढ़कर; इस लेख पर लाखों की संख्या में आपत्ति दर्ज कराने के साथ साथ लेखक एवं प्रकाशक दोनों को लिखित व मौखिक में माफ़ी मांगने को बाध्य करें ! नवभारत टाइम्स देश को किस एजेंडे के तहत गुमराह करने का कार्य कर रहा है ? अगर आज आप सोये रहे तो कल आपका गौरवमयी अतीत कहीं षड्यंत्रकारियों के द्वारा ख़त्म न कर दिया जाये ! लिंक ये रहा- https://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/sanjeevkhudshah/%E0%A4%95-%E0%A4%AF%E0%A4%B8-%E0%A4%A5-%E0%A4%9C-%E0%A4%A4-%E0%A4%95-%E0%A4%87%E0%A4%A4-%E0%A4%B9-%E0%A4%B81/ आप कौन लोग हैं? पढ़ें- सूर्य रश्मियाँ जब भी बोझिल हुईं अंधेरी रातों से, सदा मिली है ताकत इनको कागज कलम दवातों से, तुम वंशज हो चित्रगुप्त के जग में शान तुम्हारी है, कागज कलम दवात सदा से ही पहचान तुम्हारी है, सकल श्रृष्टि के निर्माता तुम ब्रम्हा जी के प्यारे हो, प्रखर प्रवर्तक बुद्धि लिए माँ शक्ति के भी दुलारे हो, धर्मराज बन स्वयं न्याय की रेखा रखने वाले हो, सारे जग के ही कर्मों का लेखा रखने वाले हो, सम्मानित हो पूज्यनीय हो थाह दिखाने वाले हो, अन्धकार में भी प्रकाश की राह दिखाने वाले हो, दुनिया भर में निज संस्कृति का गान कराने वाले हो, बुद्धिमान को बुद्धिमता का भान कराने वाले हो, तुम भारत के गौरव हो तुम राष्ट्र के खातिर डटे रहे, जातिवाद में नहीं पटे पर राष्ट्रवाद पर अटे रहे, श्वेत चन्द्र आभास तुम्हीं हो सूरज का प्रकाश तुम्हीं हो, धरती व आकाश तुम्हीं हो गौरवमयी इतिहास तुम्हीं हो, खड्गों की टंकार तुम्हीं हो पावन गंगा धार तुम्हीं हो, जलता इक अंगार तुम्हीं हो ठाकरे की हुँकार तुम्ही हो, स्वतंत्रता की आश तुम्हीं थे दुनिया भर में ख़ास तुम्हीं थे, आजाद हिन्द करवाने वाले नेता वीर सुभाष तुम्हीं थे, पुष्पों के मकरंद तुम्हीं हो कवि चेतन के छंद तुम्हीं हो, ये भगवा स्वछन्द तुम्हीं हो स्वामी विवेकानन्द तुम्हीं हो, मोहक चन्दन बाग़ तुम्हीं हो होली वाली फाग तुम्हीं हो, हास्य और अनुराग तुम्हीं हो तानसेन के राग तुम्हीं हो, राष्ट्रपति के भी सुर तुम थे, संविधान के भी उर तुम थे, धूल चटा दे जो दुश्मन को, शाश्त्री लाल बहादुर तुम थे, प्रेमचन्द गोदान तुम्हीं थे महादेवी पहचान तुम्हीं थे, वृन्दावन सी शान तुम्हीं थे संपूर्णानंद की जान तुम्हीं थे, सोनू की आवाज तुम्हीं हो बच्चन का अंदाज तुम्हीं हो, ध्यानचंद की हॉकी हो तुम बॉलीवुड का ताज तुम्हीं हो, ऊँच नीच पे कहर तुम्हीं थे गीत गजल की बहर तुम्हीं थे, सोई सरकार जगाने वाली जयप्रकाश की लहर तुम्हीं थे, अपना अतीत अपना गौरव कहीं और ना खो जाए, बुद्धिजीवियों की बिसात बिल्कुल बौनी ना हो जाए, आपस की बस खींचतान में हम पिछड़े ना रह जायें, औरों के घर को सीच सींच न मकाँ हमारे ढह जायें, कुशाग्र बुद्धि वालों के कलमें कहीं सुप्त न हो जायें, बदले बदले इस मिजाज में हम विलुप्त न हो जायें, इसीलिये हे कायस्थ बन्धुओं शक्ति की पहचान करो, तुम वंशज हो चित्रगुप्त के मिलकर के आह्वान करो, एक सूत्र में बंधो कलम की धारें आज मिला दो तुम, सागर की गहराई में पतवारें आज मिला दो तुम, स्वयं तरक्की करो साथ में सबका ही उत्थान करो, जितना भी हो सके देश के लोगों का कल्याण करो, अपने हित के लिए लड़ो पर धर्म एक है ध्यान रहे, हिन्दू हिन्दू भाई भाई हिन्दू अपनी पहचान रहे, अपना गौरव नहीं रहा है केवल बस तलवारों से, आर्याव्रत था विश्वगुरु कृपाण कलम की धारों से, कलम चलाओं धर्म सनातन की तुम पूर्ण सुरक्षा में, वक्त पड़े तो शीश कटा देना भारत की रक्षा में, निवेदक- कवि 'चेतन' नितिन खरे महोबा, बुन्देलखण्ड मो.- +91 9582184195 (नोट-बंधुओं नवभारत टाइम्स के लिंक पर जाकर अपनी आपत्ति दर्द करते हुए; खुदशाह की शाहगिरी निकालिये ) लेखक के विचार अपने है bhadas में छपे लेखो का कायस्थखबर से सहमत असहमत होना अनिवार्य नहीं है 

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2 comments

  1. Kuldeep Kumar Srivastava

    सर्व प्रथम कायस्थों को जागृत अन्य जातियों के समान एक करने का प्रयास किया जाये। तभी कुछ सफलता मिल सकती है अन्यथा नहीं ।

    • आपकी टिपण्णी पढ़कर अच्छा लगा । उक्त लिंक पर भी अपने विचार दें ।

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