Home » चौपाल » कुछ लोग भ्रांतियां फैला रहे हैं कि चैत्र माह में चित्रगुप्त जी प्रकट हुए थे इसलिये इसे चैत्र मास कहते हैं।जो गलत है- राजेश कुमार खरे

कुछ लोग भ्रांतियां फैला रहे हैं कि चैत्र माह में चित्रगुप्त जी प्रकट हुए थे इसलिये इसे चैत्र मास कहते हैं।जो गलत है- राजेश कुमार खरे

चैत्र माह को चि्त्रा नक्षत्र के कारण चैत्र मास कहा जाता है अमावस्या के बाद जब चन्द्रमा मेष राशि और अश्विनी नक्षत्र में प्रकट होकर रोज एक 2 कला बढता हुआ 15 वे दिन चित्रा नक्षत्र में पूर्णता को प्राप्त करता है तब वह मास चित्रा नक्षत्र के कारण चैत्रमास कहलाता है

अब कुछ लोग भ्रांतियां फैला रहे हैं कि इस माह में चित्रगुप्त जी प्रकट हुए थे इसलिये इसे चैत्र मास कहते हैं।जो गलत है ! जबकि चेत्रमास में चैत्र की पूर्णिमा पर हनुमानजी का प्रकटउत्सव हे चैत्र की पूर्णिमा को वीर हनुमानजी का जन्म हुआ था !जिसे विश्व भर में हम लोग हनुमानजयंतीके रूप में जानते है व् धूमधाम से मनाते हे !चेत्रपूर्णिमा पर मेहंदीपुर ,सालासर (राजस्थान )में हनुमान भक्तों का मेला प्रमुख आकर्षण का केंद्र है !

उज्जैन में ही काफी पौराणिक चित्रगुप्त मंदिर भी है जहाँ प्रसाद के रूप में कलम, दवात चढ़ाया जाता है जिससे प्रसन्न होकर श्री चित्रगुप्त भगवान अपने भक्तो को मनवांछित फल प्रदान करते हैं, साथ ही कायस्थ के चार तीर्थो में उज्जैनी नगरी में बसा श्री चित्रगुप्त भगवान का ये मंदिर पहले नंबर पर आता हे! कांचीपुरम् चेन्नई में चित्रगुप्तजी का प्राचीन मंदिर है। पूरे दक्षिण भारत में चेत्रपूर्णिमा पर मेला लगता है व् भक्त चित्रगुप्तजी के मंदिर में दर्शन करते है और चैत्रपूर्णिमा से वैशाख पूर्णिमा तक यम नियम का पालन किया जाता है। चेत्र माह को दक्षिण मेंचितरई मासभी कहा जाता है। इस मास में *केतु ग्रह की शान्ति करायी जाती है क्योंकि केतु ग्रह के अधिदेवता चित्रगुप्तजी हैं।यद्यपि केतु ग्रह की शांति उज्जैन व नासिक में भी करवाने की परंपरा है !जबकि दक्षिण में हनुमान जयंती मार्गशीष माह में मनाई जाती है ! ब्रह्माजी जी द्वारा 11000 साल* की तपस्या करने के उपरांत उनकी काया से श्री चित्रगुप्तजी भगवान मध्यप्रदेश के उज्जैन जिले में उज्जैन की क्षिप्रा नदी के तट पर कार्तिक मास शुक्लपक्ष की यम द्वितीया को अवतरित हुए थे।व् भगवान चित्रगुप्तजी ने 12000 वर्ष परमेश्वरी (माँ दुर्गा )की तपस्या की थी !चैत्र पूर्णिमा के बाद राज्यभिषेक भी अंकपात उज्जैन में हुआ था इस अवसर सभी देवताओं ने पुष्पवर्षा कर स्वागत/अभिनन्दन किया था उस समय गंगाजी भी प्रगट होकर राज्याभिषेक उत्सव में शामिल हुईं थी उस दिन सप्तमी थी तभी से गंगासप्तमीपर भगवान चित्रगुप्तजी का प्रगटउत्सव मनाने की परंपरा हे ! ॐ श्री चित्रगुप्ताय नमः हो सके तो यह जानकारी सभी अपनों तक पहुचाने का प्रयास करें। राजेश कुमार खरे राजगढ़ mp

आप की राय

आप की राय

About कायस्थ खबर

कायस्थ खबर(https://kayasthkhabar.com) एक प्रयास है कायस्थ समाज की सभी छोटी से छोटी उपलब्धियो , परेशानिओ को एक मंच देने का ताकि सभी लोग इनसे परिचित हो सके I इसमें आप सभी हमारे साथ जुड़ सकते है , अपनी रचनाये , खबरे , कहानियां , इतिहास से जुडी बातें हमे हमारे मेल ID kayasthakhabar@gmail.com पर भेज सकते है या फिर हमे 7011230466 पर काल कर सकते है अगर आपको लगता है की कायस्थ खबर समाज हित में कार्य कर रहा है तो  इसे चलाने व् कारपोरेट दबाब और राजनीती से मुक्त रखने हेतु अपना छोटा सा सहयोग 9654531723 पर PAYTM करें I आशु भटनागर प्रबंध सम्पादक कायस्थ खबर

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*