फूलपुर की घटना ने फिर साबित किया है की कायस्थ समाज सक्षम नेताओं को तराश नहीं पा रहा है – आशु भटनागर
कल कायस्थ खबर ने जब फूलपुर में कायस्थों की पार्टी होने का दावा करने वाली पार्टी की असलियत समाज के सामने लाइ तो कई लोगो ने उस पर मिश्रित प्रतिक्रया दी I जिनमे उस तथाकथित पार्टी के कुछ तथाकथित कार्यक्रताओ ने अपनी झेंप मिटाने की कोशिश की वही उस प्रत्याशी के साथ रहे कुछ प्रबुद्ध वकीलों ने दावा किया की लोग उनके साथ नहीं आये और अनुभव की कमी के चलते वो पर्चा दाखिल नहीं कर पाए
लेकिन पहली नजर में देखू तो मुझे ये जबाब हास्यापद ही लगे लेकिन इससे एक गंभीर सवाल भी खड़ा हुआ की कायस्थ समाज में राजनीती और विधायक और सांसद बन्ने के सपने देखने वालो के पास चुनावी प्रक्रिया की जानकारी का पूर्ण अभाव है जिसको वो लोग समाज के साथ ना होने के बेहुदे बहाने के साथ अपनी गलती छुपाने में लगे रहते है
असल में देखा जाए तो कायस्थ समाज के हर चुनावों में कुछ लोग हिम्मत करते है और प्रमुख दलों में पूछ ना होने चलते ऐसे राजनैतिक दलों के दामन पकड लेते हैं जो खुद अभी अपने अस्तित्व के लिए संघेर्ष कर रहे है इससे जहाँ ऐसे राजनैतिक दलों को तो कुछ मुद्रा प्राप्त हो जाती है लेकिन ऐसे लोगो को कोई सपोर्ट नहीं मिलता और ना ही चुनाव लड़ने के लिए पर्याप्त जानकारी
ऐसे में या तो ये लोग पर्चा दाखिल ही नहीं कर पाते या फिर इनके पर्चे कानूनी पेचिद्गियो के चलते निरस्त हो जाते है (हालाँकि कुछ लोग इसे जानभुझ कर की गयी गलती भी बताते है )
तो फिर समाधान क्या है ?
इस घटना ने जहाँ फूलपुर जैसी सीट पर कायस्थों का दावा ही ख़तम कर दया है वहीं आगे के लिए चुनाव लड़ने के इच्छुक प्रत्याशियों के लिए भी मुश्किल कड़ी कर दी है I ऐसे में सवाल ये भी आ गए है की आखिर हमारे समाज के लोग कब चुनावों के लिए मानसिक , आर्थिक और सामाजिक तोर पर तैयार होंगे I इसमें बड़ी समस्या एक ये भी है की जब भी कोई चुनाव लड़ने का मन बनाता है तो वो अनुभवी लोगो के समर्थन की जगह हाशिये पर रहे कुछ वकीलों को ही सब दायित्व दे दते है और अंतिम दौर में रेस से बाहर हो जाते है
कायस्थ समाज को अब ये तय करना पड़ेगा की कैसे इस समस्या को सुलझाया जाएगा? कायस्थ समाज के प्रबुद्ध चिंतको और प्रमुख राजनातिक सांसदों और विधयाको के नेतृत्व में समय समय पर कार्यशाला का आयोजन होना चाहए जिसमे राजनैतिक अखाड़े में उतरने के इच्छुक लोगो को इन सभी मुद्दों पर जानकारी दी जाए I ये कार्य कम से कम अगले 5 साल लगातार चलने चाहए ताकि लोगो को दुबारा ऐसी बातों से २-४ ना होना पड़े