Home » चौपाल » हमारी उपेक्षा या दुर्दशा क्यों है ? इस पर भी यह समाज कभी विचार करेगा,आत्मविश्लेषण भी करेगा -विश्व विमोहन कुलश्रेष्ठ

हमारी उपेक्षा या दुर्दशा क्यों है ? इस पर भी यह समाज कभी विचार करेगा,आत्मविश्लेषण भी करेगा -विश्व विमोहन कुलश्रेष्ठ

झारखंड और अब बिहार राजनीति में कायस्थ समाज की उपेक्षा को लेकर हमारा समाज उद्वेलित है, होना भी चाहिये ! हमारी उपेक्षा या दुर्दशा क्यों है ? इस पर भी यह समाज कभी विचार करेगा, अपने स्वयं का आत्मसाक्षात्कार और आत्मविश्लेषण भी करेगा ? या केवल राजनैतिक दलों को ही कोस ने में ही अपने कर्तव्यों की इतिश्री मानता रहेगा ? सत्य यह है कि कोई किसी को कभी कुछ नहीं देता अपितु मिलता है , और मिलता तब है जब आपके पास उस चीज को प्राप्त करने और उसे बनाये रखने तथा उसे और अधिक बढ़ाने की पात्रता हो । क्या वो पात्रता आप या आपके समाज के पास है, मालुम है आप एक बेचारे याचक की भूमिका में हैं, याचक का अपना न कोई अस्तित्व होता है और न कोई अधिकार मिलगया तो ठीक नहीं मिला तब भी संतोष करने के आलावा याचक के पास कोई दूसरा मार्ग नहीं । कायस्थ समाज की पर्याप्त संख्या होते हुए भी याचक की स्थिति में होने के क्या कारण हैं, ऐसा नहीं कि यह समाज जानता नहीं है , जानता है लेकिन इस अवस्था से उबरने का प्रयास नहीं करना चाहता । बहुत बातें हैं, कारण भी हैं समाधान के तरीके भी हैं, मै भी जानता हूँ आप भी जानते हैं लेकिन अब सचेत होने का समय, जागने का समय है, ये सब चीजें कैसे ससम्मान मिलें, हम सब को उन तरीकों को अपनाना होगा अपना अस्तित्व अपना गौरव अपनी ताकत स्वयं गढ़नी होगी अन्य समाजों और राजनैतिक दलों को अपनी शक्ति का अहशास भी करना होगा जो आज मांगने से भी कुछ नहीं दे रहे वे आपके दरवाज़े पर हाथ जोड़ कर देने आएंगे । इसलिए ख़ुदी को कर बुलंद इतना, कि तेरी तक़दीर से पहले ख़ुदा बन्दे से ये पूँछे कि बता तेरी रज़ा क्या है ? और ये होगा कैसे - कि मिटा दे अपनी हस्ती को, ग़र कुछ मर्तवा चाहे, कि दाना ख़ाक में मिलकर गुले गुलज़ार होता है । और "तन दिया पीसा गया सुरमा बना तब काम का, प्रेमियों ने फिर उसे रक्खा दृगों में प्यार से " सौ बात की एक बात पहले अपना बज़ूद बनाइये, और वह बज़ूद बनाएगी अखिल भारतीय कायस्थ महासभा इसे मज़बूत करेंगे आप स्वयं मज़बूत बनेंगे आपका अस्तित्व बनेगा, संघठन सशक्त होगा समाज सशक्त होगा समाज सशक्त होगा आप याचक से दाता की श्रेणी में होंगे । तब ये राजनीतिक दल अभी जिनके पीछे आप हैं वे आपके पीछे- पीछे होंगे । एक वक्त वह भी होगा कि आप pick and choose की स्थिति में होंगे ।। इसलिए उठो, जागो, संघर्ष करो अपना अस्तित्व गढ़ने के लिए, अपनी महासभा को गाँव से राष्ट्र तक मज़बूत और सशक्त बनाने के लिए ।। सब एक साथ जुट कर महासभा को इतना सशक्त बनादें, फिर देखिए हमारा महासभा रूपी कल्पवृक्ष कैसे इस समाज को गौरव और सम्मान दिलाता है । विश्व विमोहन कुलश्रेष्ठ  राष्ट्रीय महामंत्री - अखिल भारतीय कायस्थ महासभा 

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