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कायस्थ समाज एक होकर ऐसे घिनौने और झूठे आरोपों को खंड खंड करके रख देगा ! ब्रजेश श्रीवास्तव

सिकंदर द्वारा सम्राट पौरश को बंदी बनाया गया और सिकन्दर द्वारा प्रश्न पूंछा गया की :-- हे पराजित राजा तुम हमारे बंदी हो , अब तुम्हारे साथ कैसा व्यवहार किया जाय : पौरश ने जबाव दिया :-- हे सिकन्दर तू सम्राट हैं और मै भी सम्राट होकर भी तेरा बंदी हूँ , इस लिये जो एक राजा दूसरे राजाओं के साथ व्यवहार करता हैं ! जवाब सुन कर सिकन्दर बहुत खुश हुआ और राजा पौरश को मुक्त करके उसका सम्पूर्ण राज्य भी वापस कर दिया ! सिकंदर महान जैसा ही कार्य किया हैं हमारे आदरणीय भाई ए के श्रीवास्तव जी ने और भाई धीरेन्द्र जी ने , इन दोनों " कायस्थ विभूतियों " ने हमारे " राष्ट्रीय अध्यक्ष मान . आशीश पारिया को अपना " सहयोग " देकर इस देश के अन्य , संगठनो के प्रमुखों को एकता का वृहद संदेश दें दिया हैं , यही नहीँ यह भी बता दिया हैं की हम " आरोपों प्रत्यारोपो , मतभेदों यहाँ तक की मनभेदों के जिस भी स्तर तक रहें लेकिन " किसी भी " कायस्थ " के ऊपर " आघात " कदापि बर्दाश्त नहीँ करेंगे ! " अखिल भारतीय कायस्थ महा सभा की तीनों सेनाओं के " सेना प्रमुखों " में से " दो " की शक्ति एक साथ और साथ ही इस देश के युवा कुशल विचारक , कुशल नीतिज्ञ , और अच्छे रणनीति कार " कायस्थ वृन्द " के प्रमुख ,भाई धीरेन्द्र जी का आगे बढ़ना बहुत ही साहस देने वाला साबित होगा ! डा . ज्योति जी का कुशल संचालन " ऐसे घिनौने और झूठे आरोपों को खंड खंड करके रख देगा ! ब्रजेश श्रीवास्तव

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