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असल मुद्दे छोड़ सजातीय विजातीय के मुद्दे पर उलझा कायस्थ समाज – आशु भटनागर

कायस्थ समाज में हफ्ते भर से कुछ लोग शोर मचाये हुए है की जिन लोगो ने विजातीय शादी कर ली है उनको समाज से बाहर कर दिया जाए , समाज में उनसे कोई रिश्ता ना रक्खा जाए I समाज के तमाम मुद्दों से इतर अचानक उठे इस मुद्दे को समाज में प्रभावहीन हो चुके नेताओं की एक बार फिर से सर्वमान्य नेता बन्ने की इच्छा ज्यदा बलवती है I ऐसे नेताओं को या तो हाशिये पर किया जा चुका है या फिर वो अब अपने नए संगठन और शादी की वेबसाइट चलाकर अपना कार्य कर रहे है I ऐसे में सजातीय और विजातीय के पक्ष में दोनों ही पक्षों के अपने अपने तर्क है I कुछ लोग खाप पंचायत वाले तरीके से समाज के ना सिर्फ लोगो बल्कि ऐसे परिवारों तक को दण्डित करने के तर्क दे रहे है I हालांकि इस पुरे मुद्दे पर अभी तक ये तय नहीं हो पाया की विशुद्ध राजनैतिक लाभ के लिए उठाये जा रहे इस मुद्दे से हासिल क्या होना है I एक सज्जन कई दिन से सबकी वंशावली मांगते दिखाई जा रहे है तो दुसरे किसी पद पर विराजमान विजातीय शादी वाले नेता की ही पोल खोलने में लगे है लेकिन इन सब से एक पेशेवर सुपारी लेकर काम करने वाले लोगो का समूह ऐसा भी है जो एक ग्रुप में किसी की बहन और माँ तक को गालियाँ देने से बाज नहीं रहे तो दुसरे ग्रुप में अपने  राजनैतिक सुचिता के पाठ पढ़ा रहे है (ऐसे लोगो के भी समूह का पूरा पर्दाफ़ाश जल्द ही कायस्थ खबर पर होगा ) लेकिन इस सब से बड़े सवाल कुछ और हैं की आखिर विजातीय शादी पर इतना सवाल क्यूँ ? सब जानते है की भगवान् चित्रगुप्त ने दो शादिया की जिसमे एक ब्राह्मण ऋषि कन्या और दूसरी राज कन्या थी I उनके बाद उनके १२ बेटो की भी शादिया नाग कन्याओं से हुई जो निच्शित तोर पर सजातीय तो नहीं थे I पौराणिक कहानियों की माने तो इसी रिश्ते के चलते महाभारत में नागराज तक्षक की पांड्वो से दुश्मनी के चलते सभी कायस्थ राजा कौरवो की तरफ से लढ़े I इससे भी बड़ा सवाल ये है की आखिर राजनैतिक ताकत बन्ने के इस दौर में अगर आप ऐसे ही लोगो को समाज के निकालते रहे तो आपके साथ कौन खड़ा होगा I आपको अपनी छोटी कम्युनिटी के अस्तित्व को सोचना होगा ना की सबको बाहर निकाल कर समाज को शून्य की स्थिति पर ला देने की I आखिर इस बात की गारंटी भी कौन दे सकता है की कल को १००%  शुद्ध रहे आप जैसे समाजसेवियों की अगली पीड़ी विजातीय शादी नहीं करेगी और अगर करेगी तो क्या आनर किलिंग की तर्ज पर आप उन्हें बाहर निकाल देंगे समाज में विजातीय शादी करने वाले को अपमानित करने की जगह अगर आप उसको सम्मान दें तो शायद वो आपके लिए ज्यदा महत्वपूर्ण होगा I हाँ कुछ फैसले आप लोग कर सकते है , कुछ नियम बना सकते है कायस्थ पाठशाला की तरह I लेकिन वो भी संगठन के साथ ही बंधे रहेंगे I आपको पंजाबी और सरदार की तरह मिक्स होना पड़ेगा नहीं तो जल्द ही पूरी जाती का अस्तित्व खतरे में होगा I अफ़सोस इस बात का है की जिस कायस्थ समाज ने सैकड़ो सालो से समाज को दिशा दी उसके चंद लोग आज स्वार्थवश ऐसी जातियों की खाप प्रणाली का समर्थन या फिर यूँ कहे की उनके पीछे जा रही है जिनको हम पिछड़ा समाज कहते है I इसलिए बुधिजीवियो की जाती कहे वाले लोगो थोडा ध्यान दें

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