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कायस्थ समाज में साईं की जगह भगवान चित्रगुप्त के प्रसार को प्राथमिकता दी जाय – अनिल श्रीवास्तव

मानव जीवन का लेखा जोखा रखने वाले सर्व समाज के पूज्य कायस्थ समाज के ईष्टदेव भगवान चित्रगुप्त महराज को आधुनिकता के इस दौर में रचनात्मक तरीके से प्रमुखता देने पर ही आराधना क्षेत्र में पीछे हो गए इन पूज्यनीय भगवान का प्रसार सम्भव है।अच्छे कार्य कर गए महापुरुषों का सम्मान करना तो अच्छी बात है लेकिन उन्हें भगवान का दर्जा दिए जाने से हमारी आने वाली पीढियों में अपने भगवानों, इष्टदेवों में मोहभंग होता जा रहा है। बात की जाय साईं बाबा की तो इधर कुछ दशकों में अत्यधिक प्रसारित होने की वजह से हिन्दुओ में ईश्वर का दर्जा पा चुके लोगो के मुह से साईं राम , साईं शिव आदि सुना जा सकता है।अब सवाल यह है की साईं बाबा कौन थे जिन्हें हिन्दू भगवानो के साथ जोड़ा ही नही जा रहा बल्कि उनके नाम के आगे स्थान दिया गया। साईं बाबा के बारे में ज्यादा जानकारी का उल्लेख तो नही मिलता है खैर यह तो विवाद का विषय है वो हिन्दू थे या मुस्लिम लेकिन वो थे इंसान, न कि भगवान। हिन्दू धर्म देवताओ की बहुतायत के लिए जाना जाता है लेकिन फिर भी राजनीति के चलते हम इस महापुरुष के अनुयायी हैं हम उस महापुरुष के।कल को इसी श्रेणी में अच्छा कार्य करने वाले महान पुरुष स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी जी, आदि आ जाएं तो कोई आश्चर्य नही होगा। समाज में कलम के पुजारियों का दर्जा मिले कायस्थ समाज के ईष्टदेव चित्रगुप्त महाराज देव समाज के लेखा जोखा का काम बड़ी वखूबी के साथ सम्भालते हैं ऐसा हिन्दू धर्म के अभिलेखों में मिलता है।इन भगवान को महाराज का दर्जा मिला है।धीरे धीरे सियासी भगवान बने महापुरुषों की आधुनिक चकाचौंध में सर्वसमाज के पूज्य भगवान चित्रगुप्त महराज को विलुप्त होता देख कुछ कायस्थ संगठन आगे आये जरूर लेकिन साईं की महिमा बखान के आगे अभी भी प्रसार पूरी तरह से नही हो पा रहा है।भगवान चित्रगुप्त के प्रसार के लिए यूँ तो सभी हिन्दू धर्म की प्रजातियों को महत्वपूर्ण कदम उठाने होंगे लेकिन ईष्टदेव को महराज का दर्जा दिलाने के लिए कायस्थ समाज को रचनात्मक प्रयास करना होगा जैसे चित्रगुप्त मन्दिर बनवा रहे कायस्थ चिंतको को अपने स्तर सहयोग कर सहयोग आर्थिक, शारीरिक, बौद्धिक जो सम्भव हो, अपनी बैठको ,सभाओ, व अन्य कार्यक्रमों की शुरुआत भगवान के आगे दीप प्रज्ज्वलन कर चित्रगुप्त आरती से शुरुआत कर, सप्ताह में एक दिन चित्रगुप्तमयी बना कर आदि करके पूरे समाज में चित्रगुप्तमयी माहौल बनाया जा सकता है। लेखा जोखा रखने वाले भगवान चित्रगुप्त के प्रसार के लिए कायस्थ समाज ही नही वरन् सारे समाज को आगे आना होगा।साथ ही अपने धर्म के भगवानो के प्रति आस्था बढ़ाकर उनकी महिमा मण्डन किया जाय तो बेहतर होगा।विभिन्न माध्यमो से भगवान का मख़ौल बनाने वाले तत्वों की धारा में न बह कर उनका विरोध करना होगा। जैसे मनोरंजन के क्षेत्र में भगवान चित्रगुप्त को हास्य कलाकार के रूप में तोड़ मरोड़ कर पेश किया जाना, कुबेर तम्बाखू, श्री राम तम्बाखू आदि जानलेवा चीजें भगवान के नाम विज्ञापित कर बेचना,संचार माध्यमों से सन्देश, चित्र, कार्टून चित्र आदि में हमे साथ देने के बजाय रोकना होगा अनिल श्रीवास्तव अक्षरा कलेक्शन 

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