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क्या कायस्थ संगठन ज़मीनी काम के नाम पर अपनी ज़िम्मेदारी से भागते है ? – आशु भटनागर

कायस्थ समाज में यु तो हज़ारो संगठन है I और उतने ही उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष और संयोजक भी I देखा जाए तो राष्ट्रीय अध्यक्ष अब थोडा आउट डेटेड हो गया है , आज कल दौर अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष और संयोजक होने का है I कायस्थ खबर ने  पिछले कुछ हफ्तों की गहमागहमी पर एक आंकलन के बारे में सोचना ही शुरू किया था की कुछ संगठनो की आपसी लड़ाइयाँ सामने आ गयी I गुमनाम से पड़े इन संगठनों में से एक संगठन के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष ने एक दुसरे संगठन के अंतरराष्ट्रीय संयोजक पर उक्त संगठन को तोड़ने के गंभीर आरोप लगाए ऐसे में कायस्थ समाज में इसे इनकी  आपसी लड़ाई और उसके नाम पर प्रचार पाने की कोशिश से ज्यदा नहीं देखा गया I हालांकि २ दिन की उठापटक के बाद अब सब शांत है I लेकिन इन घटनाओं ने सोचनी पर मजबूर ज़रूर किया की आखिर गड़बड़ कहाँ है I कोई किसी पर समाज को तोड़ने जैसे आरोप लगा रहा है , तो  कोई अपने ही संगठन से निकल नया संगठन बनाकर पुराने लोगो को नए संगठन से निकालने के दावे करता है I हालांकि इनके दावे कितने सही  होते है उसकी गंभीरता इनके सदस्यों की संख्या से समझ में आती है देखा जाए तो कायस्थ समाज में सक्रीय तोर पर कायस्थ सदस्यों की अधिकतम संख्या 5००० से ज्यदा नहीं है और इन 5००० लोगो में से लगभग हर सदस्य अपना एक संगठन अपने परिवार /मित्रो  के बलबूते चलाता दिखता है और अधिकतर संगठनो में सदस्यों की संख्या ५० लोगो से ज्यदा नहीं है ऐसे में इन सब के सामने एक बड़ी समस्या होती है अपने संगठन का विस्तार करने की  और यही इन सारे विवादों का कारण है I वस्तुत जिले स्तर पर पंजीकृत इन संस्थाओं ने सोशल मीडिया के चलते अपने को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय तक बना लिया है I मजेदार बात ये है की इनके कार्यक्षेर्ट जिले या राज्य स्तर तक होता है लेकिन ये विदेश में बैठे अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के बल्बुरते अपने संगठन को बड़ा दिहाने के फेर में लगे रहते है I ऐसे में एक ही आदमी विभिन्न संगठन में पद पाए रहता है और यहीं से शुरू हो रहा है संगठनो का आपसी संगेर्ष I इस संघेर्ष की हालात है ये की कायस्थ समाज में अगर एक आदमी कुछ काम करता है तो उसके काम के पीछे १० संगठनो के दावे सामने आ रहे होते है की ये काम उन्होंने किया इसका प्रत्यक्ष उदाहरण अभी राजस्थान में एक सामाजिक संगठन के नेता द्वारा एक प्रतिभाशाली बच्ची की मदद के मामले में देखा गया I जिसके फौरान बाद एक दुसरे संगठन ने उनके काम को अपने संगठन का संयोजक बता कर प्रचारित करना शुरू कर दिया I ऐसे में विवादों में फसने के डर से सामाजिक व्यक्ति ने दोनों ही मामलो में कोई कमेन्ट करने से मना  कर दिया I ऐसे ही एक अन्य केस में एक होने जा रहे ब्लड डोनेशन कैम्प में असली आयोजक अपना नाम नहीं दे रही है लेकिन मुफ्त के प्रचार में लगे घोस्नाबाज़ लोगो ने उसमे अपनी उपस्थिति का प्रचार समाज में करना शुरू कर दिया है I हालांकि लोग इस मामले में भी दबी जुबान से बातें कह तो रह हैं लेकिन सीधे कुछ कहने से बच रहे है कायस्थ संगठनो की ऐसी हालात के चलते ही जो कायस्थ इन संगठनो से जुड़ने जा भी रहा था वो एक बार फिर से इनसे बापस हटने शुरू होते दिख रहे है I इन संगठनो की आपसे लड़ाई से कायस्थ समाज का कितना नुक्सान होगा ये तो वक्त ही बतायेगा लेकिन फिलहाल समाज इन संगठनो की आपसी लड़ाई के क्या परिणाम होंगे देखने के लिए उत्सुक है आशु भटनागर 

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