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लखनऊ में हुंकार रैली में समाजवादी कायस्थों का लगा जमावड़ा, टिकट के लिए इशारों इशारों में भाजपा पर निशाना, उत्तरप्रदेश के कायस्थ और भाजपा से जुड़े कायस्थ नेताओ ने कार्यक्रम से बनाई दूरी

अतुल श्रीवास्तव । शुक्रवार को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बिहार झारखंड और यूपी से आए समाजवादी नेताओ ने हुंकार रैली के नाम पर अपने शक्ति प्रदर्शन की कोशिश की । मुख्य बात ये रही कि उत्तरप्रदेश के अधिकांश कायस्थों और भाजपा समर्थित कायस्थ नेताओ ने इस हुंकार रैली से दूरी बनाई। रैली में झारखंड से पूर्व समाजवादी और अब कांग्रेसी नेता सुबोधकांत सहाय, पूर्व भाजपा राज्यसभा सांसद आर के सिन्हा, कांग्रेस नेता प्रदीप माथुर, प्रयागराज के वरिष्ठ समाजवादी हस्ताक्षर और वकील तेजप्रताप सिंह, कानपुर से समाजवादी विधायक सतीश निगम, वरिष्ठ समावाजवादी नेता विनय श्रीवास्तव, बनारस से रीबू श्रीवास्तव, लखनऊ में बसपा के बड़े नेता विनोद बिहारी वर्मा जैसे नाम शामिल रहे हालांकि फोटो लगाए जाने के बाबजूद शत्रुघ्न सिन्हा नही आए ।

कार्यक्रम की शुरूआत चित्रगुप्त महाराज और देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के चित्र पर माल्यार्पण कर हुआ। इस अवसर पर पटना से आई लोकगायिका मनीषा श्रीवास्तव ने स्तुति प्रस्तुत की।

कायस्थ चेतना के नाम पर भाजपा के खिलाफ जमा हुए समाजवादी नेताओ ने जमकर कायस्थों को टिकट ना देने पर अपनी भड़ास निकाली । पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता सुबोध कांत सहाय ने अप्रत्यक्ष रूप से भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा अब वह समय आ गया है की कायस्थों को किसी भी राजनीतिक दल को अपना मत समर्थन देने से पहले यह सौ बार सोचना होगा कि विगत वर्षों में कायस्थ समाज के लिए या कायस्थ परिवार के सदस्य के राजनैतिक सम्मान देने में अमुख राजनीतिक दल ने क्या भूमिका निभाई है? आगामी विधानसभा चुनाव 2022 में राजनीतिक संभावना तलाश रहे कायस्थ समाज के नेताओं को जो भी दल टिकट दे, उसके सम्मान और समर्थन में सभी कायस्थ बन्धु एकजुट हो जाए और उसको ही अपना मत, समर्थन व आशीर्वाद दें।

भाजपा से पूर्व सांसद  आर.के. सिन्हा ने अपने उद्बोधन में कहा कि भगवान चित्रगुप्त के वंशजों के लिए अभी का समय पूरी तरह निर्णायक है क्योंकि पिछले 2 दशकों से राजनीतिक तथा रोजगार के क्षेत्र में हमारे हितों को लगातार नजरअंदाज किया गया है।

कांग्रेस से पूर्व विधायक प्रदीप माथुर ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने सल्तनते चलाई, शासन और प्रशासन में अग्रणी रहे है आज उपेक्षा का शिकार इसलिए है क्योंकि हम जनसंख्या से अधिक संगठनों में तीतर-बितर है।

रैली के संयोजक मनोज लाल ने अप्रत्यक्ष रूप से भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि हमे किसी दल विशेष का पिछलग्गू होने के बजाय अपने समाज की एकजुटता दिखा कर राजनीतिक दलों को मजबूर किया जाएगा कि वे हमारे समाज को प्रतिनिधित्व दे। ये हमारा हक है और हम इसे हर हाल में लेकर रहेंगे।

सूत्रों की माने तो जितनी भी भीड़ यहां दिखाई दी वो कन्नौज से समाजवादी कायस्थ नेता विनय श्रीवास्तव के साथ आई, उन्होंने जालौन, बरेली, फिरोजाबाद, इटावा और कानूज के कायस्थों को यहां लाने में दिन रात एक कर दिया। इसके अलावा राजनीतिक प्रकोष्ठ अध्यक्ष कुमार मंगलम, पवन श्रीवास्तव , संदीप श्रीवास्तव, गौरव सक्सेना, राजेश श्रीवास्तव, डॉ.अरविंद श्रीवास्तव, रीबू श्रीवास्तव , नीरज श्रीवास्तव ,ऋतु खरे,डॉ नेहा श्रीवास्तव, मनीष श्रीवास्तव हिंदवी, पुष्पेंद्र श्रीवास्तव, अमित त्यागी, अजय कुमार श्रीवास्तव, मनोज सक्सेना ,अर्जुन श्रीवास्तव, पवन श्रीवास्तव, विनोद श्रीवास्तव, हरिकृष्ण वर्मा, न्यूटन श्रीवास्तव,जयशवर्द्धन ,मोनिका श्रीवास्तव , शिखा श्रीवास्तव रेखा श्रीवास्तव कल्पना खरे सहित प्रदेश भर की समस्त कायस्थ महासभा सहाय गुट की जिला यूनिट अध्यक्षगण एव उनके पदाधिकारियों के लोग ही कार्यक्रम में दिखे ।

उत्तरप्रदेश के कायस्थ समाज और भाजपा नेताओं ने समाजवादी कार्यक्रम से बनाई दूरी

कार्यक्रम में बिहार झारखंड के अभाकम के एक धड़े के लोगो ने शिरकत की । लोगो के अनुसार उत्तर प्रदेश में हुए कार्यक्रम में उत्तरप्रदेश के ही कायस्थों और नेताओ की उपस्थिति नही रही। प्रयागराज के प्रसाद कायस्थ पाठशाला ट्रस्ट अध्यक्ष और कागज़ के आधार पर खुद को असली कहने वाले अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जितेंद्र नाथ सिंह और उनके समर्थकों ने इस कार्यक्रम से दूरी बनाई, वही सिद्धार्थ नाथ सिंह, सौरभ श्रीवास्तव, आकाश सक्सेना, हरिश्चंद्र श्रीवास्तव, जैसे उत्तरप्रदेश के प्रमुख भाजपा नेताओं ने भी इस कार्यक्रम से दूरी बनाई।

अभाकाम 2150 के अध्यक्ष मनीष श्रीवास्तव ने कायस्थ खबर को बताया कि यूपी कायस्थ समाज योगी सरकार के साथ है, 2022 में योगी सरकार को कायस्थ पुनः जिताकर उत्तर प्रदेश में सरकार बनाएगा, कॉग्रेसी और सपाई विचारधारा से प्रेरित कुछ कायस्थ सन्गठन और नेता , लखनऊ में कायस्थ समाज को 3 दिसम्बर को एक हुँकार रेली का आयोजन असफल प्रयास है । इन नेताओं को पहले कोग्रेस द्वारा राजेन्द्र प्रसाद जी के अंतिम दिनों में किये गए शोषण का याद नही है । कायस्थ समाज के लगभग सभी नेताओ का शोषण किया गया । कांग्रेस और सपा विचारधारा वाले कायस्थों को भुलावा देने की कोशिश ना करे , कायस्थ समाज बुद्धिजीवी समाज है , हम लोग मोदी और योगी में आस्था रखते है

कार्यक्रम में खाली रही कुर्सियां बता रही कायस्थ समाज में समाजवादी नेताओ का प्रभाव

वही कार्यक्रम के बाद आए खाली कुर्सियों के दृश्यों ने उत्तरप्रदेश में समाजवादी नेताओ के इस जमावड़े की भी पोल खोल दी । उत्तरप्रदेश में भाजपा के खिलाफ दिख रहे इस शक्ति प्रदर्शन पर खाली पड़ी कुर्सियों ने बता दिया कि उत्तप्रदेश में कायस्थ समाज अभी भी राष्ट्र के साथ है और कुर्सी के लिए सत्ता को ब्लैकमेल करने वाले नेताओं से दूर है ।

वहीं भाजपा के कई नेताओं ने कायस्थ खबर को बताया कि भाजपा की जीत से डर हुए लोगो ने लखनऊ में समाज के नाम पर जो कोशिश की उसे उत्तर प्रदेश के राष्ट्रवादी कायस्थ समाज ने नकार दिया है । हाशिए पर जा चुके 70 साल की उम्र पार कर चुके इन नेताओ को जब समाज को दिशा देनी थी तब ये समझ को भ्रमित कर रहे है ।

उत्तर प्रदेश में नोएडा की आवाज कहे जाने वाले और NKAC के संयोजक अशोक श्रीवास्तव ने इस कार्यक्रम को हाशिए पर जाचुके बुजुर्ग नेताओ का उत्तर प्रदेश चुनाव से पहले खुद को दिखाने की कोशिश बताया

कायस्थ खबर के प्रबंध समादक और गौतम बुध नगर कायस्थ महासभा के संयोजक आशु भटनागर ने कहा कि समाज के नाम पर किसी भी राजनैतिक दल विशेष का विरोध करने वाले ऐसे कार्यक्रम से समाज का दूरी बनाना बताता है कि उत्तरप्रदेश का युवा बिहार झारखंड के इन नेताओं के साथ साथ उत्तर प्रदेश के समाजवादी नेताओ को भी अपना नेता नही मानता है । ऐसा ही नजारा आने वाले दिनों दिल्ली में बिहार के एक कायस्थ राजनेता द्वारा किए जाने वाले कार्यक्रम में भी दिख सकता है । जमीन से कटे इन नेताओ को समाज की नही अपने टिकट की चिंता है

वरिष्ठ पत्रकार अतुल श्रीवास्तव ने कहा कि इन्ही नेताओ ने कायस्थ समाज को ओबीसी आरक्षण देने की मांग कर समाज को बदनाम करने की भी कोशिश की थी जिसका व्यापक विरोध हुआ और सरकार ने कायस्थ समाज को आरक्षण देने जैसे किसी बात को ही समाप्त किया अब भाजपा विरोध में नए रूप में सामने आई इनकी ये रैली असफल ही रही है

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