Home » Kayastha Are Best in Every Field » क्या छद्म कायस्थ ही कायस्थों के ओबीसी आरक्षण का समर्थन कर रहे है, सोशल मीडिया पर समर्थन करने वालो के भुर्जी दर्जी कायस्थ से संबंधो पर उठे सवाल

क्या छद्म कायस्थ ही कायस्थों के ओबीसी आरक्षण का समर्थन कर रहे है, सोशल मीडिया पर समर्थन करने वालो के भुर्जी दर्जी कायस्थ से संबंधो पर उठे सवाल

अतुल श्रीवास्तव । कायस्थ समाज को ओबीसी में शामिल करने के विरोध और समर्थन के मामले पर अब लड़ाई आर पार ही होने जा रही है जहाँ ढेरो युवा कायस्थ एवं वरिष्ठ कायस्थ कॉयस्थो को ओबीसी आरक्षण में सम्मलित किये जाने की मांग का पुरजोर विरोध कर रहे है। वही कुछ कायस्थ (?) समर्थन में है और उन लोगो जनसभाएं आदि कर रहे है । किंतु अब उन जनसभाओं पर प्रश्न चिन्ह लगना शुरू हो गया है कि क्या जो कायस्थ जनसभाएं और समर्थन कर रहे है क्या वो वाकई कायस्थ है या कॉयस्थो का सरनेम इस्तेमाल करके कायस्थ समाज मे घुसे हुए घुसपैठिये ।


ताजा तरीन मामला लखनऊ में हुई आरक्षण समर्थन में हुई एक सभा का है जिसके प्रमुख आयोजको में से एक सुशील सिन्हा कायस्थ है या नही उंस पर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ी हुई है काफी सारे स्क्रीन शॉट्स सोशल मीडिया पर घूम रहे है कि वो कायस्थ नही बल्कि अन्य जाति के है इससे उंस सभा मे सम्मलित अन्य कॉयस्थो के कायस्थ होने पर प्रश्न चिन्ह लगना शुरू हो गया है।

आपको बता दे उंस मीटिंग में सम्मलित होने वाले लोगो की प्रेस रिलीज के अनुसार इसका आयोजन शेखर श्रीवास्तव ने किया था और इसमे लखनऊ के ढेरों कायस्थ नेता सम्मलित हुए थे। इस प्रकरण के बाद और भी ढेरो लोग जो आरक्षण समर्थन में है लोग उनके भी कायस्थ होने पर संशय व्यक्त करने लगे है।

आपको बता दें कि फिलहाल प्रयागराज के धीरेंद्र श्रीवास्तव, जयपुर के कुमार संभव एवं कानपुर के लायन अतुल निगम जैसे कुछ ही लोग है जो कि आरक्षण समर्थन में दलीलें दे रहे है ।

ऐसे में ओबीसी में कायस्थों को रखने का समर्थन करने वाले लोगो पर छद्म कायस्थों के नए आरोपों के बाद समाज में एक बार फिर से कुलीन कायस्थों को प्रमाणित करने की जंग दोबारा शुरू होगी इसको लेकर भी मंथन शुरू हो गया । गाजियाबाद के समाजसेवी वीपी श्रीवास्तव कहते हैं कि कायस्थों को इस नए परिवेश में खुद को अब कुलीन कायस्थ लिखना शुरू करना पड़ेगा ताकि उनकी पहचान स्पष्ट देखें और वह किसी नकली माथुर सक्सेना श्रीवास्तव सर नेम वाले कायस्थों से भ्रमित ना हो सके कायस्थ समाज की श्रेष्ठता और शुद्धता को कायम रखने के लिए इस तरीके की सामाजिक मुहिम को आगे बढ़ाना जरूरी है

कायस्थ चिंतक अंबुज सक्सेना ने इस प्रकरण के बाद कायस्थ सभाओं के उन नेताओं पर भी सवाल उठाना शुरू कर है जो सर्वे कराने के नाम पर चुप बैठे हैं या जो बिल्कुल ही अपना निर्णय नहीं देने को कह रहे हैं ऐसे में कायस्थ समाज के स्वाभिमान और शुद्धता की लड़ाई कहां जाकर रुकेगी इसका फैसला भविष्य ही करेगा

आप की राय

आप की राय

About कायस्थखबर संवाद

कायस्थखबर पिछले 8 सालो से भगवान चित्रगुप्त की महिमा एवम प्रचार, सामाजिक राजनैतिक कायस्थ नेताओं, प्रतिभाओं को प्लेटफार्म देने के लिए प्रतिबद्ध है I कायस्थ खबर के संचालन के लिए आप अपना सूक्ष्म सहयोग हमे निम्न तरीको से दें सकते है . PayTM at 9654531723 Google Pay : 9654531723, UPI : kayasthakhabar@dbs

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*