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कायस्थों को राजनितिक सहभागिता बढ़ानी होगी –रवि शंकर प्रसाद

वर्ल्ड कायस्थ कांफ्रेंस में कैबिनेट मंत्री श्री रवि शंकर प्रसाद का कायस्थों से आह्वान की वह राजनीती में अपनी सहभागिता जरुर बढ़ाए !राजनीतीक और सामाजिक सह्भागिरता से समाज को आत्म विस्वास और पहचान बढ़ेगा ! जीवन मे आत्मविश्वास कभी न कम करें ।
अपनी बातो को कहते हुए वह अत्यंत भावुक हो गए उन्होंने कहा की मुझे पीड़ा होती है जब मैं अपने कायस्थ समाज मे दहेज की व्यवस्था को देखता हूँ। हमे दहेज प्रथा बंद करनी चाहिए। इसके खिलाफ संघर्ष करे और संकल्प ले !भगवान का ही आशीर्वाद है कि आज दुनिया ‘चित्रांश परिवार के लोगो’ पर ज्यादा विश्वास करती है !हमारी विरासत ‘ईमानदारी’ , ‘गरिमा’ और ‘निष्ठा’ है इसी परंपरा को हमे आगे बढ़ाना है।

दिल्ली में बहुचर्चित श्री प्रकाश श्रीवास्तव जी हेदराबाद द्वारा आयोजित कायस्थ वर्ल्ड कांफ्रेंस संपन्न हुआ !ताल कटोरा में उम्मीद से कम कायस्थों के बीच कार्यक्रम शुरू हुआ !फिलहाल मिलजुल कर केंद्र विन्दु श्री अशोक श्रीवास्तव जी ही रहे !जो भी हुआ वह कायस्थ एकता लके नाम पर हुआ वह भी भगवान् श्री चित्रगुप्त जी के नाम के साथ इसलिए कायस्थ समाज के विकास लिए यह अच्छा संकेत है !

कायस्थ समाज के बिखराव और समाज से मुख्यधारा से न जुड़ पाने के कारणों को खोजने के साथ वर्ल्ड कायस्थ कांफ्रेंस का शुरुवात हुआ !एक स्वर्णिम इतिहास के वावजूद कायस्थ समाज को देश में क्यों नहीं उचित स्थान और सम्मान नहीं मिल रहा है यह एक सोच का विषय है जिसपर चिंतन होना चाहिए !कायस्थ समाज ने देश को प्रथम सामाजिक आर्थिक और न्यायिक नेतित्व दिया है फिर भी वह आज समाज के मुख्यधारा से कट गया है है !बेरोजगारी जहाँ विषम स्थति में है वही दहेज़ के कारण तमाम गरीब कायस्थ बेटियो को मुसकिलो से गुजरना पढ़ रहा है !

1965069_10204620281719809_3394236421194939367_nइस चकाचक और आधुनिक कायस्थ कांफ्रेंस से कायस्थ समाज के आम जन को क्या फायदा हुआ यह मूल्यांकन करना अभी बाकी है क्योंकि इस कार्यक्रम में कायस्थ समाज के कुछ संघ और संघठनो को सम्मिलित नहीं किया गया जिसकारण कुछ आलोचना भी हो रही है !देखा जाये तो अभी तक के पूर्व कायस्थ कार्यक्रमों में बुनियादी समस्याओ को किनारे रख कर गुटबाजी , व्यक्तिगत महिमामंडन और अपने चेहरे को चमकाने का काम किया जा रहा है जो उचित नहीं है !कायस्थ समाज में अभिमान और इगो एक विषम रोग है जिससे हम सभी पीड़ित है शायद हमारे बिखराव का यह मुख्य कारण भी है !बिना इसका इलाज किये बगैर कायस्थ समाज का भला होना मुस्किल ही नहीं नामुमकिन भी है !इस तरह के कार्यक्रम का हस्र नाचना ,गाना खाना और फिर भूल जाना हो जाता है जो समाज के लिए सही नहीं है हमें समाज के बुनियादी समस्याओ को उठाना होगा !समाज के आम जरुरतमंदो को मदद पहुचाना होगा तब हमारा परिश्रम सफल होगा !

कार्यक्रम मे विशिस्ट अतिथियो में राज्यसभा सांसद और एसआईएस ग्रुप के मुखिया चित्रांश रवीद्र किशोर सिन्हा, केंद्रीय मंत्री और चित्रांश रविशंकर प्रसाद ,श्री लाल बहादुर शास्त्री की पुत्रवधू और समाजसेविका श्रीमति नीरा शास्त्री ,प्रशासनिक अधिकारी डॉ अनूप श्रीवास्तव, अखिल भारतीय हिन्दू महासभा के अध्यक्ष चित्रांश चक्रपाणि महाराज, महामहिम कपाली जी महाराज ,श्री अशोक श्रीवास्तव जी और श्री विनोद बिहारी वर्मा उपस्थित रहे !अब कुछ काम की बाते जो इस कांफ्रेंस से छन छन से आई वह आप भी जान ले !विनीत खरे जी का सराहनीय सहयोग रहा की पूरी दुनिया ने इसे लाइव देखा  !श्री अशोक श्रीवास्तव जी ने अच्छा मंच संचालन किया ! 

सभी कायस्थ संघो में आम राय स्थापित किया जाये - टी पी श्रीवास्तव

टी पी श्रीवास्तव जी कहा की कायस्थों की संघठन जरूरत से ज्यादा है जिससे हमारी शक्ति बिखरी और बटी हुई है !यह हमारे समाज के लिए उचित नहीं है !उन्होंने कहा की सभी संघथानो में सामजस्य होना चाहिए और एक ऐसा संघठन बनाना चाहिए जिसमे सभी संघठन के बड़े पदाधिकारियो को शामिल किया जाये और उनका आम राय लिया जाये !

कायस्थ कार्यक्रमों में कायस्थ महिलाओ की भी सह्भागिरता हो - नीरा शास्त्री

नीरा शास्त्री जी कहा की उनकी सबसे बड़ी टीस यह है की कायस्थों के कार्यक्रम में महिलाओ की भगीदारी कम रहती है उन्होंने कहा की अब आप लोग जब भी किसी कायस्थ के कार्यक्रम में जाये तो पुरे परिवार के साथ जाये ! श्रीमति नीरा शास्त्री ने अपनी बात ‘जय चित्रगुप्त भगवान’ की जयकार से शुरू की। उन्होने कहा समाज मे जागृति है और ‘चेतना’ आ रही है। लाखो लोगो से सोशल मीडिया के माध्यम से पहुंचा जा सकता है। उन्होने कहा एक ‘ट्रस्ट’ बना कर हमारे महापुरुषों की समाधियों और स्थलो का रख-रखाव किया जा सकता है। उल्लेखनीय है किसी वक्ता ने ‘राजेंद्र प्रसाद’ की समाधि-स्थल की दयनीय स्थिति का मुद्दा उठाया था। उन्होने यह भी कहा कि चित्रांशों को रविवार (या छुट्टी के दिन) पार्क मे खाने के बहाने ही मिलना चाहिए इससे मेलजोल बढ़ता है।

बुद्धिजीवी को संघठित करना और मेंडक को तौलना एक सामान है – आर के सिन्हा

11071599_10153131815244663_8308092682091032698_nआर के सिन्हा जी ने कहा की हमें जोड़ने का काम करना चाहिए न की तोड़ने का !सभी संघठनो का सम्मान करना चाहिए न की आलोचना !आलोचना से आपसी कतुरता पनपती है जो हमारे समाज के लिए उचित नहीं है !उन्होंने माना की कायस्थ बुद्धिजीवी होते है इसलिए बुद्धिजीवी को संघठित करना और मेंदंक को तुलना मुस्किल भरा कार्य होता है !
सिन्हा जी कहा की कायस्थ संघ और संघठनो की संख्या ज्यादा होना कोई गलत बात नहीं है !यदि यह १० हो या सौ इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है !इनकी संख्या से समाज का विकास ही होता है क्योंकि हर संघ दस या वीस लोग होते ही होंगे !

सिन्हा जी अपने दिक्कत को बताया की लोग एक दुसरे का सहयोग नहीं करते है !बिना सहयोग और समर्थन के कारण समाज बिखरता चला जा रहा है !समाज के सभी तरह के विचारो का स्वागत होना चाहिए और एक दुसरे में सामजस्य भी होना चाहिए !

सुरेश श्रीवास्तव जी के बात का जिक्र किया जिसमे उन्होंने कहा की भगवन के पूजन दिवस को राष्ट्रिय छुट्टी घोषित करने की मांग करनी चाहिए !उन्होंने अपना व्यक्तिगत समर्थन दिया है !

रोजगार के सन्दर्भ में उन्होंने कहा की मैं मेरिट पर विस्वास करता हूँ !उन्होंने कहा की यदि मुझे कायस्थ और अन्य में सिलेक्शन करना होगा तो वह कायस्थ को ही चुनेंगे !

निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि 21वी शताब्दी मे कायस्थों की एकता के माध्यम से ‘चेतना’ और ‘जागरूकता’ पैदा करके कायस्थ समाज का उत्थान करना ही एकमात्र विकल्प है।बिना राजनितिक और सामाजिक सह्भागिरता के हम समाज में अपनी पहचान स्थापित नहीं कर सकते है उसके लिए हमें एक होना होगा !

साथ आये इगो दूर रखकर .....सफलता और उत्थान पाए एकता बनाकर !

Alok Srii
Freelance Writer प्रदेश उपाध्यक्ष कायस्थ विकास परिषद् 

#AlokSriiBachan

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