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के पी ट्रस्ट के वोटर्स की मन की बात: केपी ट्रस्ट के 12000 वोटर कहां है ?

अतुल श्रीवास्तव । इस बार हमने के पी ट्रस्ट के वोटर की मन की बात में ये जानने के लिए रूख किया प्रयागराज की तरफ जहा पर मुंशी काली प्रसाद कुभास्कर जी, चोधरी महादेव प्रसाद जी, और मेजर रंजीत सिंह जी आदि ने कायस्थों की शिक्षा एवं विकास के लिए एक सपना देखा और उसको साकार करने के लिए अपना सर्वस्व अर्पण कर दिया। जहा पर ट्रस्ट की नीव पड़ी और ट्रस्ट के सबसे ज्यादा वोटर जहा पर है और ट्रस्ट का चुनाव जहाँ पर होता है। और यहाँ के न्यासियों से जांनने की कोशिश की ट्रस्ट के करीब 32000 वोटर्स होने के वावजूद कुल मतदान आठ से साढ़े आठ हजार तक ही क्यों सिमट जाता है। इसके लिए हम लोगो ने ट्रस्ट के सदस्यों से बात की उनसे बातचीत में उसके कारण पता लगा तो उन्होंने जो बताया उससे पूरी पिक्चर क्लियर हो गई की क्यों मतदान कम होता है।

वर्षो से 1 से लेकर 12000 वोटर ने नही डाले वर्षो से वोट

ट्रस्ट का ज्यादात्तर वोटर अल्हागंज , झूंसी ,खुशाल पर्वत ,नैनी आदि स्थानों पर है वह के कई सदस्यों ने बात चीत के दौरान बताया की क्रम संख्या 1 से करीब 12000 तक ने वर्षो से मतदान नहीं किया है या तो वो अब इस दुनिया में नहीं है या कही अन्यत्र बस चुके है या इतने ज्यादा वयोवृद्ध हो चुके है की मतदान स्थल तक नहीं पहुंच सकते है तो बचते है 20000 उनमे भी उनका कहना है की आजकल की भागदौड़ भरी जिन्दगीं में ज्यादातर सदस्य रोजी रोटी के लिए घर से बाहर अन्यत्र शहर में शिफ्ट हो गए है कोई दिल्ली एनसीआर ,कोई मुंबई ,किसी के बच्चे बंगलोर और कुछ विदेश जो की सारे वोटर है। किसी परिवार के चार सदस्य किसी के पांच सदस्य और वो अपना पैसा खर्च करके वोट डालने आए जबकि उनका कोई न तो निजी हित है और न उन्हें ट्रस्ट से समाज का कोई भला हो रहा हो ऐसा दीखता हो।

मतदान के समय हर बार इतनी भगदड़ और गुंडागर्दी होती है की अपनी और अपने परिवार की जान क्यों सांसत में डाले जबकि उनका कोई निजी स्वार्थ नहीं होता है न तो ट्र्स्ट उनके लिए कुछ करती है सिवाय उन सौ दो सौ लोगो को छोड़कर जो किसी न किसी प्रत्याशी की कम्पैन में जुटे रहते है। न उन्हें कोई ट्रस्ट कोई ग्रुप इंशोरेंस या कोई ऐसा फायदा पहुँचाती है

सदस्य

दिसंबर की भयंकर सर्दी भी कम मतदान का बड़ा कारण

दूसरी एक और समस्या की और भी सदस्य गण ने ध्यान आकर्षित किया की मतदान का दिन भयानक सर्दी 25 दिसंबर का दिन होता है करीब 60 % वोटर वयोवृद्ध है इतनी सर्दी में वो इससे बचते है ये भी वोटिंग परसेंटेज कम होने का एक प्रमुख कारण है युवाओ को सदस्य्ता मिलने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है ,सदस्य्ता अब ओपनकब होती कब बंद किसी को पता ही नहीं चलता है। काफी लोकल और आस पास के लोग इसलिए वोट डालने नहीं पहुंच पाते है वो छुट्टी का दिन होता है वो छुट्टी अपने परिवार के साथ बिताना ज्यादा पसंद करते है और अपने जरूरी कामो को निपटाना पसंद करते है।


बाहरी वोट की संख्या कम, खर्चा जायदा

वही बाहरी वोट को लेकर यहां के लोगो का कहना है की ये जो वोटर हजार पांच सौ विभिन्न जगहों से लाये जाते है उनका आकलन है इससे भी काफी फर्क नहीं पड़ता है पांच सात सौ वोटर से सिर्फ संख्या ऊपर नीचे जरूर हो जाती है किन्तु जीत हार पर विशेष प्रभाव नहीं पड़ता है या तो प्रत्याशी ये प्रयास करे की अन्य जिलों के वोटर ज्यादा से ज्यादा संख्या में पहुंचे और जीत हार के प्रमुख कारक बन जाए।

आज तक बाहर से आने वाले कायस्थों के लिए एक धर्मशाला तो बनवा नहीं सके है जिसके लिए वो सोचे जब उन्हें ही कोई फायदा नहीं है तो आम कायस्थ को क्या लाभ मिलेगा कोई भी अध्यक्ष प्रत्याशी इस पर कभी कुछ भी नहीं बोलता है।

बदलाव के मुद्दे पर उनका कहना है कि है बदलाव होते रहना चाहिए प्रकृति भी साल में तीन मौसम बदलती है किन्तु बदलाव लाएगा कौन। अभी तक किसी भी प्रत्यशी ने कोई ठोस लेआउट प्रस्तुत नहीं किया है की अगर वो चुनकर आते है तो ऐसे परिवर्तन कर देगे। कुछ न्यासी तो इसे ही नियति मान चुके है वो ज्यादातर सदस्य इसे एक उत्सव की तरह देखते है इससे ज्यादा कुछ नहीं की इसी बहाने पांच साल में इष्ट मित्र और रिश्तेदारों से भेट मुलाकात हो जाती है। ट्रस्ट जो की शिक्षा के मदिर के रूप में स्थापित हुई थी आज उसका पूर्ण व्यवसायी करण हो चूका है उनका कहना है आम न्यासी सिवा एक वोटर के वो कुछ भी नहीं है उनका कहना है की सारे अधिकार अध्यक्ष में निहित है यहाँ तक की उपाध्यक्ष , महासचिव, और 30 मानद सदस्यों का चुनाव भी अध्यक्ष की मर्जी से होता है सारे महत्वपूर्ण फैसले वही करता है उन्हें सिर्फ पांच साल में तीन माह के लिए याद किया जाता है जब इलेक्शन होता है।

जितेन्द्र नाथ मृदभाषी, राघवेंद्र दबंग, इसलिए हर बार जाते हैं हार

प्रयागराज के लोगो का कहना है कोठी का वोटर्स तो सॉलिड है और सम्पर्क करने वाले भी ज्यादा है जबकि अन्य प्रत्यशियों में हेल्पिंग हैंड कम है। साथ ही वो वर्षो से ट्रस्ट में अध्यक्ष रहे है जबकि अन्य अभी उनके सामने कमजोर खिलाडी है। किन्तु जहा वर्तमान अध्यक्ष चौधरी जीतेन्द्र नाथ जी एक मृदभाषी व्यक्तित्व के रूप में प्रसिद्ध है वही चोधरी राघवेंद्र नाथ जी एक तेज तर्रार व्यक्तित्व के रूप में जिसका फायदा विपक्ष को मिली रहा है। जब टी पी सिंह और केपी श्रीवास्तव अध्यक्ष बने थे तो उनके सामने चौधरी राघवेंद्र नाथ ही प्रत्याशी थे। और इस बार भी उनके सामने विपक्ष आपसी वैमनस्य भूलकर एकजुट है और डॉक्टर सुशील सिन्हा को प्रत्याशी के रूप में खड़ा किया है और संभव है इस टोटके से सफलता उनके हाथ लग जाए।

अन्य अध्यक्ष पद के प्रत्याशियों के विषय में पूछने पर लोगो उन्हें डमी कैंडिडेट करार दिया है। और मुकाबला सिर्फ इन दो के ही बीच माना है प्रयागराज के न्यासियों में में इस बार असंतोष ज्यादा है

तो मित्रो आगे फिर मिलेंगे नए मुद्दे और नए जिलों के वोटर के साथ की आखिर के पी ट्रस्ट के वोटर की मन की बात क्या है इसके लिए पढ़ते रहिये कायस्थ खबर और अपनी राय हमें व्हाट्स एप और मेल पर KPTrustelection@kayasthkhabar.com  द्वारा भेजते रहिये यदि आप के भी कोई मुद्दे है तो हमें निसंकोच लिखिए हम बनेगे आपकी आवाज कायस्थ खबर के साथ।

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