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क्या दिल्ली एनसीआर में कायस्थ समाज फिर बिखराब की और है ?

दिल्ली एनसीआर के कायस्थ समाज में बीते कुछ समय से एक दम शान्ति है I कोई हलचल नहीं , ऐसा लगता है यहाँ के सभी स्वघोषित कायस्थ नेता राजनीती से या तो संस्यास ले चुके है या फिर बदलती राजनीती में खुद को अनफिट समझने लगे है I २०१४ के बाद अचानक आई क्रांति अब कहीं गम हो गयी दिखती है I बीते ४ सालो में कई संगठन , कार्यक्रम अस्तित्व में आये , लाखो रूपए इन पर पानी की तरह बहाए गये लेकिन लगता है अब दिल्ली एक सी आर के कायस्थ समाज ने समझ लिया है की या तो इससे कुछ होने वाला नहीं है या फिर वो अब इस लायक बचे नहीं है की और ज्यदा इन्वेस्ट कर सके I बीते साल भर से देखा जाए तो एक दम से दिल्ली एनसीआर में कायस्थ एक्टिविटी लगभग शून्य हो गयी है I समाज की निष्क्रियता का असर निश्चित तोर पर २०१९ के चुनावों पर भी पड़ेगा I और हमेशा की तरह हमारे कायस्थ समाज के लोग उसके बाद सोशल मीडिया , अखबारों में कहते पाए जायेंगे की राजनैतिक दलों ने कायस्थों को फिर से नहीं पूछा है I असल में कायस्थ समाज के नेताओं और सामाजिक कार्यक्रताओ की यही कमी है की जिस समय समाज का प्रभाव राजनैतिक दलों को दिखाना होता है है उस समय वो देश भक्त हो जाते है और अपनी ताकत दिखाने की जगह देश को समर्पित कार्य दिखाने की होड़ में लग जाते है I जबकि आज की जातिवादी राजनीती में बिना जातिवादी गणित दिखाए आपको टिकट नहीं मिलता है ऐसे में यदि कायस्थों को २०१९ में फिर एक बार राजनैतिक दल ठेंगा दिखायेंगे इसमें कोई आश्चर्य नहीं होगा ?

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