Home » मुख्य समाचार » सुबोध कान्त जी ध्यान दें … उनके नेत्रत्व में भगवान् चित्रगुप्त का सम्मान करना भूली अखिल भारतीय कायस्थ महासभा(KADOM)!!! सोशल मीडिया पर भड़का कायस्थ समाज

सुबोध कान्त जी ध्यान दें … उनके नेत्रत्व में भगवान् चित्रगुप्त का सम्मान करना भूली अखिल भारतीय कायस्थ महासभा(KADOM)!!! सोशल मीडिया पर भड़का कायस्थ समाज

कायस्थ खबर डेस्क / नरेंद्र श्रीवास्तव I खुद को १०० वर्षो पुरानी होने का दावा करने वाली अखिल भारतीय कायस्थ महासभा (kadom) कुछ भी कह ले , लेकिन आज तक भगवान् चित्रगुप्त का सम्मान करना नहीं सीख पाई है I नरेंद्र श्रीवास्तव द्वारा कायस्थ खबर को भेजी जानकारी के अनुसार देहरादून में पिछले दिनों सुबोध कान्त सहाय के गुट वाली अखिल भारतीय कायस्थ महासभा (kadom) की एक बैठक का आयोजन  किया गया I जिसमे महासभा के लोग जूते पहन कर ही भगवान् को पुष्प अर्पित करते दिखाई दे रहे है I हैरानी की बात ये है की ये सभी फोटो महासभा के लोगो द्वारा ही सोशल मीडिया पर वायरल किये जा रहे है I ऐसे में महासभा के उत्तरखंड के पदाधिकारियों प्रदेश अध्यक्ष संजय श्रीवास्तव ,महामंत्री विवेक मोहन श्रीवास्तव ,कोषाध्यक्ष अजय भटनागर ,उपाध्यक्ष सर्वेश माथुर,संगठन मंत्री मुरारी लाल श्रीवास्तव , पर सवाल उठना लाजमी है की वो लोग कैसे इस सबको होने दे रहे हे , साथ ही अखिल भारतीय कायस्थ महासभा (KADOM) के राष्ट्रीय अध्यक्ष पर भी सवाल उठ रहे है की आखिर उनके आने के बाद से ऐसी घटनाएं क्यूँ हो रही है क्या (दलित , आदिवासी , मुसलिम ) की संगत में कायस्थ महासभा अपना संस्कार तो नहीं खोती जा रही है ? कहीं ऐसा तो नहीं (KADOM) के जिस फार्मूले की बात सुबोध कान्त सहाय ने की थी उसका आशय कायस्थ संस्कृति को इसी तरह ख़तम करना था I सुबोध कान्त सहाय चाहे तो अपना पक्ष हमें मेल कर सकते है कायस्थ खबर नीचे कुछ लोगो के कमेन्ट दे रहा है जो उन्होंने इस फोटो के सोशल मीडिया में आने बाद लिखे है  [6/14, 1:31 PM] CM Shrivastava: कुलदेवता भगवान श्री चित्रगुप्तजी को फूल अर्पित करने वाले कायस्थ समाज के ये कौन महान पदाधिकारी है, जो जूते पहने हुए ही भगवान को फूल चढा रहै है, ये तो सरासर भगवान का अपमान है । शायद अन्य किसी उपस्थित चित्रांश बंधुओं ने भी इन्हें जूते पहन कर भगवान को फूल चढाने से रोका तक नहीं। खैर, शुभकामनाएँ । [6/14, 1:33 PM] Dhar vijay saxena: सत्य कहा ,, दिखती बात बेहद शर्मनाक है की हम केवल दिखावे के लिए सब कर रहे है दिल से नहीं ? [6/14, 1:44 PM] CM Shrivastava: ?बिलकुल सही लिखा आपने > इश्वर के सामने अहंकार को समझ उसका त्याग कर देना ही बेहतर है, अन्यथा हालात में वो शक्ति है, जो अहंकार को नष्ट करने का सामर्थ्य रखता है । [6/14, 1:48 PM] Rajesh Nigam: कही फोटो में बिना जूते-चप्पल के फ़ोटो बेकार नही आये इसलिए ....?? क्योंकि कार्यक्रम व पूजा-पाठ तो हम फ़ोटो के झांकी मण्डप के लिए जो करते हैं ...?? आखिरकार श्री चित्रगुप्त भगवान हैं कौन इनके लिए ...?? ? [6/14, 1:53 PM] Narendra Shrivastava: ऐसे लोगों को कई समाजिक मंचो पर सम्मानित किया जाता है और करने वाला एक चाटुकार होता है जो समाज के लिए नही अपने फायदे के लिए सोचता है।? [6/14, 2:06 PM] Dhar vijay saxena: कड़वा सत्य कहा आदरणीय आपने हमारे समाज के कहि लोगो की सोच यही है की आखिर चित्रगुप्त भगवान है कौन? किसी को भी पूजना और श्रध्दा होना अच्छी बात है, जिसका अधिकार भी हमें हमारा सविधान देता है ! पर एक तरफ तो खुद को धार्मिक कहना या हिन्दू कहना और दूसरी और धार्मिक ग्रन्थ भगवानो की ही अनदेखी करना या धार्मिक ग्रन्थ भगवान को तुच्छ समझना हमारे बुद्धिजीवी कहलाने वाले समाज के ऐसे लोगो की मंदबुद्धि का परिचय जरूर देता है ,, ?? लोगो के द्वारा किये गये कमेन्ट उनकी अपनी सोच है और उनके लिए कायस्थ खबर ज़िम्मेदार नहीं है 

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2 comments

  1. Anil srivastava

    भगवान चित्रगुप्त धार्मिक स्थल पर जूता पहनकर पूजा करने से आस्था को ठेस पहुंचती है, गन्दगी का वास होता है और नकारात्मक ऊर्जा का विकास होता है।

  2. V k saxena Lohri

    एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप . कैसे भी नहीं करना चाहिए। फिर भी आरोप लगाना कायस्थों की आदत होती है। वेबसाइट ऐसी हो जिसमे सीक्रेट खुले विचार और बन्द विचारों का समायोजित हो। ताकि हर कोई पढ सके, व समझ सके। क्योंकि लोग सात्त्विक, तामसिक व राजसिक विचारों वाले होते है। प्रायः कायस्थ राजसिक विचारों वाले अधिक पाए जाते है। ये सभी प्राकृतिक गुण होते है। सात्त्विक गुण वाले कायस्थ न के बराबर है । तामसिक कायस्थ भी बडी मात्रा मे है। इसलिए आपस मे सहयोग नही हो पाता। यसब ज्ञान के विषय है। जिनको जानना अतिआवश्यक है ।

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