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कानाफूसी : रविनंदन सहाय से टकराव से बचने के लिए क्या सुबोधकान्त सहाय अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के अध्यक्ष पद से हटेंगे ?

कायस्थ खबर डेस्क I अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के दो गुटों के बीच परस्पर वर्चस्व की लड़ाई में रोज नए खुलासे होते रहते है I बीते दिनों ही कायस्थ खबर ने बताया था की किस तरह से सुबोध कान्त सहाय के अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के अध्यक्ष बन्ने को १ साल पहले दिखा दिया गया है I और उसमे २०१८ -२०२१ को भी २०१७ -18 किया गया है

महासभा में हो रही कानाफूसी की माने तो इस सब के बाद उठे बवाल से सुबोध कान्त सहाय खुद बैकफुट पर आ गये है I कायस्थ महासभा में लगातार इस बात के संकेत मिल रहे है कि आपसी खीचतान और राजनीती से नाराज सुबोध कान्त सहाय अपना राष्ट्रीय अध्यक्ष पद जल्द ही छोड़ सकते है I कायस्थ खबर को मिल रही जानकारी को अगर माने तो इसको २०१९ के चुनावों के मद्दे नजर उनके चुनाव लड़ने को आधार बनाया जा सकता है I

लेकिन असल बात रविनंदन सहाय के सारंग गुट के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उसके बाद उसके बढ़ते प्रभाव का होना बताया जा रहा है I सूत्रों की माने अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के पूर्व विवादित अध्यक्ष कैलाश नारायण सारंग के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से स्वयं हटने के बाद पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष के एन सहाय के पुत्र रविनंदन सहाय को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया I साथ ही सुबोध कान्त सहाय की अध्यक्षता वाले गुट को एक नोटिस भी भेजा गया है I जिसमे पूर्व महामंत्री समेत कई लोगो के जाली सिग्नेचर को लेकर आरोप लगाए गये है I हालत इस कदर सुबोध कान्त सहाय गुट के खिलाफ हैं की अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के नाम को लेकर भेजे नोटिस के बाबजूद रविनंदन सहाय का सम्मान लखनऊ , पटना , दिल्ली , रांची , गुरुग्राम , भोपाल समेत कई शहरो में धूमधाम से हो रहा है I जबकि सुबोध कान्त सहाय गुट २४ फरवरी के बाद से आज तक अपनी प्रस्तावित बैठक भी नहीं कर पाया है I कैडर से लाकर समाज तक का जिस तरह से विश्वाश रविनंदन सहाय को मिल रहा है उससे भी सुबोध कान्त सहाय गुट बैचेन है ऐसे में तमाम कानूनी दावपेंचो के बाबजूद सुबोध कान्त सहाय अपने राजनैतिक कैरियर को लेकर इस सब से काफी असहज महसूस कर रहे है I रांची से आ रही अफवाहों के मुताबिक़ कोर्ट में हार और जीत दोनो ही वजह से सुबोध कान्त सहाय को २०१९ के चुनाव में कायस्थ वोटो का नुक्सान उठाना पढ़ सकता है जो वो बिलकुल नहीं चाहेंगे ऐसे में विवादित संगठन से शान्ति से हटना ही उनको चुनावी खेल में जीत दिला सकती है I ऐसे में आने वाले दिनों में कब तक सुबोध कान्त सहाय इस खेल में रहेगे इसका फैसला समय ही बतायेगे

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