कायस्थ खबर डेस्क I भगवान चित्रगुप्त के प्रकटोत्सव को लेकर विभिन्न दावो के चलते उत्पन्न हो रहे भ्रम से अब समाज के लोग सवाल उठाने लगे है I सोशल मीडिया में इस बात पर लगातार सवाल उठ रहे है की आखिर सब मठाधीश रोज अपने अपने नए दिन कैसे ले आ रहे है I
मध्य प्रदेश के राजीव श्रीवास्तव कहते है की बस अब यही लड़ाई राह गई है??
नॉएडा के अतुल श्रीवास्तव कहते है की
राजीव भाई लड़ाई नहीं मठाधीशों की वर्चस्व की लड़ाई बन गया ये उत्सव... जैसे जिस जिस दिन को बताया जा रहा है उस दिन नहीं हुआ तो शायद कायस्थ समाज का अस्तित्व कही खतरे मे ना पड़ जाए ऐसा प्रतीत कराया जा रहा है... अब तो लगता है भैया दूज ही ठीक था जिसको लेकर कमसे कम पूरे भारत वर्ष मे कोई विवाद तो नहीं है और ना कोई उसके साथ बनाकर कोई नई पुरानी कहानी जोड़ी जा रही है.. चित्र गुप्त जी को अब तो ऐसा लगता है स्वम आकार अपना प्रगट प्रमाण पत्र दिखाना होगा तभी ये विवाद शांत होगा... ऐसा लगने लगा है अब तो जिसने चैत्र पूर्णिमा को मना लिया उसने गंगा सप्तमी वालों की प्रापर्टी अपने नाम कर ली और जिसने गंगा सप्तमी को मनाया उसने चैत्र पूर्णिमा वालों की प्रापर्टी पर कब्जा जमा लिया हो जैसे
जिसके बाद राकेश श्रीवास्तव कहते है यहाँ राजस्थान में तो एक तीसरी तारीख़ घोषित कर दी गई और मना भी ली गई 26 मार्च धर्मराज दशमी
26 मार्च
31 मार्च
22 अप्रेल
कायस्थ मठाधीशों शर्म करो
???
इस पर राजीव श्रीवास्तव का कहना है
इसलिए में सभी ग्रुप से हट गया क्योंकि में तो एक बात जानता हूं कि प्रभु का दिन है कभी भी मनाओ लेकिन जोर जबरदस्ती से जो कि कायस्थबहिनी के लोग करते है जबकि गंगासप्तमी बाले जो लोग भी है उन्होंने कभी प्रेसर नही दिया सबसे ज्यादा तो बाहिनी के लोग नोटंकी करते है भैया जी मे खुद उसमे था पहले
राकेश श्रीवास्तव का कहना है की
जो लोग ये कह। रहे हैं कि कभी भी
मनाओ। हर दिन मानाओ
सब को। आजादी है अपना अपना दिन मनाने। की
वो लोग ज्यादा नुकसान कर रहे हैं
क्यों कि कुछ लोग अपने आप को बुद्धिजीवी ओर सर्व ज्ञानी मानते है तो कुछ लोग अपने बर्चस्व को बचाने में लगे है एक कायस्थ दूसरे कायस्थ को गलाकाट प्रतियोगिता में शामिल कर रहा है
क्या ये मठाधीश कायस्थ पीढ़ी को ये अलग अलग तारीखें 26 मार्च 31 मार्च 22 अप्रेल देकर जाएंगे आपकी संताने आपको कैसे माफ करेगी ये कायस्थों को बांटने फुट डालने का गम्भीर अपराध है
हो सकता है कालखंड में 12 संतान 12 अलग अलग तारीखों की घोषणा कर दें
इन मठाधीशों को सार्वजनिक बहिष्कार करना ही होगा एक तारीख पर आम सहमति बनने तक
इस पर अतुल श्रीवास्तव ने कहा की उन्होंने आज तक ये नहीं कहा इस दिन karo aur इस दिन ना करो
हर्दोई मे सिर्फ भइया दूज होती है आशु भाई ना पूर्णिमा ना सप्तमी ना दशमी
मै हर positive चीज को प्रमोट करता हू... क्योकि कुल मिलाकर इन उत्सवओ से कम से कम एक मिलने का बहाना तो बन जाता है.. कोई भी उत्सव या सम्मेलन हो इसलिए किसी का विरोध नहीं करता हू.. ये मेरी निजी सोच है
लेकिन मेरा भी कहना है ये रोज रोज से behtar एक दिन सुनिश्चित करो यदि नहीं कर सकते तो भैया दूज ही रहने दो जो सर्वमान्य हैआप की राय
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