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डिप्रेशन पर जागरुकता के साथ मनाया जा रहा है विश्व स्वास्थ्य दिवस, कायस्थ समाज में अपने आसपास के लोगो में डिप्रेशन के मरीजो को पहचाने

आज की भागदौड़ भरी जिन्दगी में कब हम किसी बीमारी का शिकार हो जाए पता ही नही चलता। वैसे ही एक मानसिक बीमारी है डिप्रेशन यानि उदासी या अवसाद। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक दुनियाभर में 30 करोड़ से अधिक लोग ऐसे हैं जो अवसाद के शिकार हैं, जिसके कारण उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है और वे अक्षमता का शिकार हो रहे हैं। इस वर्ष विश्व स्वास्थ्य दिवस की थीम 'डिप्रेशन लेट्स टॉक' है। हमारे अपने ही इस दलदल में फंसते जाते हैं और हम उनके लिए कुछ नहीं कर पाते हैं। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के अनुसार हर तीन में से एक इंसान डिप्रेशन का शिकार होता है। WHO की रिपोर्ट के मुताबिक 2006 से 2015 के बीच पूरी दुनिया में डिप्रेशन के मरीजों की संख्या में 18 फीसदी से ज्यादा हो गई है। पूरे विश्व में लगभग 320 करोड़ डिप्रेशन के शिकार हैं। भारत ने भी मानसिक रोग से निपटने के लिए कमर कस ली है और हाल ही में संसद ने भी मानसिक स्वास्थ्य विधेयक को मंजूरी देकर अपना इरादा जाहिर कर दिया है। विधेयक में मानसिक स्वास्थ्य को समाज और रोगी केंद्रित बनाने से यह बात साफ हो जाती है कि हमेशा रोगियों पर ध्यान होना चाहिए। ऐसा माहौल बनाना होगा जो रोगियों का जल्द, सुगम और बेहतर उपचार सुनिश्चित करे। यह विधेयक मानसिक रोगों को लेकर तमाम नकारात्मक धारणाओं को तोड़ने में कारगर होगा जो आज 21वीं सदी में भी बनी हुई हैं। आत्महत्या के प्रयास को अपराध नहीं मानकर केवल मानसिक बीमारी की श्रेणी में रखा जाना इस बात का संकेत है कि इसमें मानवीय संवेदनाओं का पूरा ध्यान रखा गया है। कायस्थ समाज में अपने आसपास के लोगो में डिप्रेशन के मरीजो को कैसे पहचाने  जब पूरा विश्व डिप्रेशन की बात कर रहा है तो कायस्थ समाज उससे कैसे अछूता रह सकता है I कायस्थ समाज की संस्थाओं और हम सभी लोगो को अपने समाज में अपने आसपास ऐसे लोगो को पहचानने की ज़रूरत है I सौभाग्य से हमारे समाज में आज डा रेनू वर्मा जैसी समाज सेवी है जो एक कुशल मनोचिक्तिसक भी है I

क्या है डिप्रेशन के लक्षण

  • अगर आपका अपना छोटी-छोटी बातों पर परेशान रहने लगे। हर बात पर गुस्सा करने लगे तो ध्यान दें और पूछें आखिर बात क्या है।
  • किसी की बात पर आपको विश्वास ना हो, किसी से मिलने का मन ना करें, तो आप समझ लें कि आप डिप्रेशन के शिकार होते जा रहे हैं।
  • आपको लगने लगे हर कोई आपके खिलाफ शाजिश रच रहा है , हर कोई आपके खिलाफ है
  • अगर अचानक आपके रातों की नींद उड़ जाए, रात को सोते-सोते अचानक जागकर बैठ जाएं, डर लगे तो भी आपको ध्यान देने की जरूरत है।
  • अगर आप इतने परेशान रहने लगे कि आपको अपनी जिंदगी प्यारी ना लगें, आप सुसाइड करने के बारे में सोचने लगें। जब जिंदगी से निराश हो जाएं और जिंदगी खत्म करने का दिल करने लगे। तो आप अपनों से बात करें और उन्हें समझाएं। नहीं हो तो मनोचिकित्सक के पास ले जाएं।
  • अगर आपका दोस्त या बच्चा चुपचाप एक कोने में बैठा रहे। शांत रहे और किसी से बात न करे तो उससे बात करें और उसके दिल का हाल लें।
  • खाना अच्छा न लगे, चिड़चिड़ाहट हो, खामखा नाराजगी हो, नकारात्मक विचार आए, आत्मविश्वास खत्म होता सा नजर आए तो तुरंत बात करें। अकेले में न रहने दें। अपने दोस्त को सहारा दें और एक अच्छे दोस्त की तरह उसके आस-पास रहें।
  • कई बार अकेलेपन से डर लगता है लेकिन अकेले रहने का मन भी करता है। भीड़ अच्छी नहीं लगती है। आपके शरीर के कई अंगों में दर्द होने लगता है। विटामिन्स की कमी होती है। तो मतलब आपकी मानसिक स्थिति अच्छी नहीं है।

खुद को कैसे संभाले डिप्रेशन के शिकार लोग 

डिप्रेशन के शिकार लोग अक्सर अपनी ही बनायी दुनिया में रहने लगते है , उन्हें लगने लगता है की सभी लोग उनके ही खिलाफ है वो खुद ही अपनी ही सोची हुई बातो को सच मानने लगते है समाज सेविका और मनाचिकित्सक डा रेनू वर्मा कहती है की अक्सर ऐसे लोग हेलोसिनेशन, उच्च रक्तचाप के भी मरीज हो जाते है I जिंदगी में प्यार की कमी आपको ऐसी स्थिति में ला खड़ा कर देती है। हम घर में प्यार नहीं पाकर बाहर प्यार ढूंढते हैं। तभी दिक्कत होती है। इसके लिए सबसे बेहतर हमें खुद से मोहब्बत करना होगी। जब तक हम खुद से प्यार नहीं करेंगे तब तक हम इस तरह से तनाव में रहेंगे। हम प्यार ढूंढने के चक्कर में अकेले रह जाते हैं। ये उम्मीद हमें बस दर्द देती हैं और जब प्यार और अपेक्षित सफलता नहीं मिलता तो हम परेशान हो जाते हैं और डिप्रेशन में चले जाते है। अकेलेपन से करें प्यार अकेला रहना आसान नहीं है। जो लोग परिवार या दोस्तों के बीच रहते हैं, उन्हें डिप्रेशन कम होता है। हालांकि ऐसा नहीं है। लोग भीड़ में भी तन्हा रहते हैं। ऐसे में अगर आप अपने अकेलेपन से प्यार करेंगे तो आपको तनाव नहीं होगा। कई बार हम बाहर रहते हैं अकेले कई सालों तक, ऐसे में अकेलापन परेशान करने लगता है। अगर आपके पास कोई नहीं है तो खुद से बातें करें और लिखना शुरू करें। दूसरों की मदद करो और उनका दर्द बांटों अगर आपके पास दर्द है, आप दर्द में हैं तो दूसरों का दर्द बांटों। दूसरे के दर्द में शरीक होने से आप खुद के दर्द को भूल जाते हैं। ऐसे में आपको इस तरह का मानसिक तनाव नहीं होगा। छोटे-छोटे लक्ष्य बनाएं, मिलेगी खुशी हम बड़े सपने देखते हैं, बड़े लक्ष्य रखते हैं। लेकिन जब पूरा होने में वक्त लगता है तो हम तनाव में आ जाते हैं। ऐसा नहीं करना चाहिए। हमें छोटे छोटे लक्ष्य बनाने चाहिए, ताकि हमें तनाव कम हो। हम छोटी खुशियों को पाने की कोशिश करें।

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