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यूपी चुनावों से पहले गायब होते कायस्थ समाज के व्हाट्स अप्प नेता , कायस्थ समाज अब क्या करे

पिछले २ सालो से व्हाट्स अप्प  और  सोशल  मीडिया  पर  अचानक कायस्थ नेताओं की बाड आ  गयी  थी I जिसे  देखो  वो सोशल मीडिया  पर  अपनी  परिषद् , वाहनी , एक्शन कमिटी  या महासभा बना  कर  बड़े  बड़े  दावे  कर  रहा था I इनमे  से हर   कोई अपने  अपने  तथा कथित संगठन का राष्ट्रीय  संयोजक या अध्यक्ष था  , अधिकतर संगठन कागजो  पर  थे और  पंजीकृत नहीं थे  इसलिए  इनमे  से  कुछ तो अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष तक बन  गए  I जगह  जगह सम्मेलनों , बैठको की खबरे  आने  लगी अचानक  उदय  ये  ये  तथाकथित भैया और  नेता अपने  कोई  ही  स्वयम्भू  कायस्थ नेता बताने  के दावे करने  लगे  कोई  १०  साल तो  कोई ३०  सालो से कायस्थ समाज की सेवा कर रहा था I लेकिन २०१७ की चुनावी राजनीती की बिसात जैसे जैसे बिछती गयी ऐसे खोखले नेताओं की असलियत भी सामने आती गयी I पिछले दिनों हुए कायस्थ खबर परिचर्चा एवं संवाद में आये जनता दल प्रवक्त डा अजय आलोक ने ऐसे नेताओं की उपयोगिता पर सवाल उठाते हुए कहा की राजनैतिक डालो के सामने इनकी कोई जानकारी नहीं है I ज़मीनी तोर  पर ये नेता अगर समाज को लेकर ५००० लोगो की  कोई एक रैली  करने  में सक्षम नहीं है तो इनको कोई नहीं जानेगा I ऐसे में राजनैतिक परिद्रशय में ऐसे नेता समाज का नुकसान ही करते है I समाज के लोग ऐसे स्वयभू राष्ट्रीय संयोजको और अध्यक्षों से आशा लगा लेते है लेकिन ऐसे नेता राजनैतिक दलों को यकीन दिलाना तो दूर १०० कायस्थ भी उनके पास लाने में असफल रहते है I इससे राजनैतिक दलों में पहुचे  कायस्थ नेता भी इनसे पल्ला झाड लेते है डा अजय आलोक ने ऐसे नेताओं के चलते बिहार चुनाव में जनता दल यु के टिकट पर उतरे एक मात्र प्रत्याशी राजीव रंजन का उदहारण देते हुए कहा की दीघा विधानसभा में २ लाख कायस्थ प्रत्याशी है लेकिन कायस्थ प्रत्याशी होने के बाबजूद वहां एक ब्राहमण जीत जाता है तो ऐसे कायस्थ नेताओं की जरुरत की राजनैतिक दल को है I ऐसे में आधारहीन ओ व्हाट्स अप्प पर ही अपने ४ या ५ लोगो के सहारे अपना जाल फैलाए ऐसे नेता अब व्हाट्स अप्प और सोशाल्मेडिया पर गायब होते जा रहे है I कास्ट खबर को मिली जानकारी के मुताबिक़ ऐसे सभी नेता अब ६ महीने की छुट्टी जैसे बातें कह कर किनारे हो रहे है  तो कुछ राष्ट्रीय छोड़ इंटरनेशनल पर ध्यान देने की बातें कर रहे है ऐसे में कायस्थ समाज एक बार फिर से त्रिशंकु की भाँती हो गया है जिसको ये समझ नहीं आ रहा है की वो क्या करें I कायस्थ खबर परिचर्चा एवं संवाद में आये जनता दल प्रवक्त डा अजय आलोक इसके लिए भी कायस्थों को एक जुट होकर अपना वोट खराब करने यानी किसी भी दल को ना देने की बात कहते है I अजय आलोक कहते है की अगर कायस्थ समाज एक बार अपना वोट सिर्फ कायस्थ प्रत्याशी चाहे वो किसी भी दल से हो और उसके ना होने की दशा में नोटा पर दाल दे तो सभी राजनैतिक दलों को उसकी उपयोगिता समझ आ  जायेगी I उनकी बात को ही नॉएडा के समाज सेवी राजन श्रीवास्तव भी आगे बढ़ाते हुए कहते है की नॉएडा में ३५ हजार कायस्थ है और २०००० गुर्जर लेकिन राजनैतिक दल कायस्थ नेता की जगह गुर्जर और ब्राह्मण नेताओं को टिकट दे रहे है क्योंकि उन्हें पता है की कायस्थ समाज का वोट संगठित नहीं है I अत अब वक्त आ गए है जब कायस्थ समाज को ऐसे व्हाट्स अप्प नेताओं की जगह खुद ही फैसले करने होंगे I

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