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अमर उजाला के साथ जुड़ीं वरिष्ठ पत्रकार अलका सक्सेना, मिली बड़ी जिम्मेदारी

कायस्थ समाज से टीवी पत्रकारिता का जाना-माना नाम अल्का सक्सेना ने अपनी नई पारी अमर उजाला के साथ शुरू की है। उन्हें यहां ‘डिजिटल एंड कनवर्जेंस’ का एडिटर बनाया गया है , समाचार4मीडिया से मिली जानकारी के मुताबिक, वे यहां समूह के मैनेजिंग डायरेक्टर राजुल महेश्वरी को रिपोर्ट करेंगी। वे इससे पहले हिंदी न्यूज चैनल ‘न्यूज एक्सप्रेस’ की मैनेजिंग एडिटर रह चुकी हैं। कौन है चित्रांशी अलका सक्सेना  नवबंर, 2014 में उन्होंने ‘न्यूज एक्सप्रेस’ जॉइन किया था और इससे पहले वे लोकसभा चुनावों के साथ सहारा मीडिया में जुड़ी रही थीं। सहारा मीडिया वे ‘जी न्यूज’ से आईं थी, तब वे यहां कंसल्टिंग एडिटर के तौर पर कार्यरत थीं। यहां  ‘जी न्यूज’ में उन्होंने एक लंबी पारी खेली। इस चैनल के साथ वे साल 2001 में बतौर एडिटर जुड़ीं थीं, लेकिन इस दौरान उन्होंने करीब डेढ़ साल के ब्रेक लिया और इसके बाद फिर वे ‘जी न्यूज’ के साथ बतौर कंसल्टिंग एडिटर जुड़ीं। पिछले लगभग 30 वर्षों से वे पत्रकारिता की मुख्य धारा में सक्रिय हैं। पत्रकारिता में अल्का सक्सेना ने वह मुकाम बनाया, जो किसी भी पत्रकार की तमन्ना होती है। उदयन शर्मा और एस.पी. सिंह जैसे मीडिया के दिग्गजों के सानिध्य में अपनी कलम को धार और तेवर देने वाली अलका ने हर मुश्किल को चुनौती के रूप में स्वीकारा और जो ठाना, उसे हासिल कर दिखाया। प्रिंट हो या इलेक्ट्रानिक मीडिया, अलका ने जो कुछ पाया, वह अपनी प्रतिभा और कठिन मेहनत के बल पर। अलका की पढ़ाई-लिखाई दिल्ली में हुई है। अलका ऐसे कायस्थ परिवार में पैदा हुई थीं, जो बड़ा पारंपरिक था और उनके घर में फिल्म देखने तक को बुरा माना जाता था। यही वजह है कि अलका ने सिनेमाघर में जाकर पहली फिल्म ‘हरियाली और रास्ता’ तब देखी जब वे स्नातक प्रथम वर्ष की पढ़ाई कर रही थीं। अलका के पत्रकारिता में आने के पीछे दिलचस्प घटना हैं। अलका जब छठी क्लास में पढ़ती थीं, उस वक्त उनके स्कूल में एक वाद-विवाद प्रतियोगिता आयोजित की गई। इस प्रतियोगिता में अलका प्रथम स्थान पर आईं थी। इस प्रतियोगिता के जज बनकर ‘नवभारत टाइम्स’ के पत्रकार फतह चंद्र शर्मा आए थे। उन्होंने अलका को गोद में उठाते हुए कहा था कि अगर मेरा वश चलता तो सीनियर विंग में भी मै इसे प्रथम पुरस्कार देता। उन्होंने अलका को इनाम के रूप में पचास रुपए का नोट भी दिया। अगले दिन अलका का नाम अखबार में छप गया। वाद-विवाद प्रतियोगिता से संबंधित खबर में विजेताओं के नाम प्रकाशित हुए थे। अलका ने अपनी मां से पूछा कि क्या यह खबर उनके रिश्तेदारों ने भी पढ़ ली होगी, तो जवाब मिला, हां। अलका इस बात से बेहद प्रभावित हुईं कि उनके स्कूल में आए पत्रकारों का लिखा हुआ हर जगह पहुंच गया। अलका ने मन-ही-मन यह सोचा कि बड़े होने के बाद वे कुछ ऐसा करेगीं कि उनका लिखा हुआ सभी रिश्तेदारों तक पहुंच जाए। अलका ग्रेजुएशन में ही फ्रीलांसर के तौर पर रेडियो और टीवी से जुड़ गईं और छात्रों पर आधारित कार्यक्रम करना शुरू कर किया। उन्हीं दिनों अलका ने लिखना भी आरंभ कर दिया था। 1985 में अलका को ‘रविवार’ पत्रिका में सहेली नाम के कॉलम में लिखने का मौका मिला। यह कॉलम महिलाओं की स्थिति पर आधारित था। देश की ज्यादातर प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में ‘हिन्दुस्तान’, ‘नवभारत टाइम्स’, ‘जनसत्ता’, ‘धर्मयुग’, ‘दिनमान’, ‘रविवार’ में किसी-न-किसी विषय पर अलका के लेख प्रकाशित होते रहते थे। पत्रकारिता की प्रति अलका की प्रतिबद्धता को देखते हुए उनका चयन ‘रविवार’ में हुआ था। रविवार के लिए अलका ने पहले ही साल में जबरदस्त रिपोर्टिंग कर ये दिखा दिया पत्रकारिता का हुनर उनमें भरपूर है और इसके चलते ही उन्हें एक प्रतिष्ठित संगठन का ‘बेस्ट यंग जर्नलिस्ट’ का अवॉर्ड दिया गया। अलका ने ‘रविवार’ के साथ ‘संडे’ में भी काफी आर्टिकल लिखे। रविवार के बाद अलका ‘संडे ऑब्जर्वर’ में बतौर विशेष संवाददाता के रूप में जुड़ गई और आतंकवाद से जूझ रहे पंजाब और जम्मू-कश्मीर की रिपोर्टिंग की। अलका ने तकरीबन 9 साल तक प्रिंट में काम किया। अलका के जीवन में एक समय ऐसा भी आया कि वे ग्रहस्थ जीवन में उलझ गई और पत्रकारिता से कुछ समय के लिए दूर हो गईं। लेकिन उन्होंने कभी हार मानना नहीं सीखा था। बड़े संघर्षों के बाद वे मीडिया में एक बार फिर से लौटीं और लिखने-पढ़ने से जुड़ा काम शुरू कर दिया। वे डॉक्यूमेंट्री और शॉर्ट फिल्मों के लिए स्क्रिप्ट लिखने लगीं। इसी दौरान अलका को दूरदर्शन भोपाल से एक साप्ताहिक कार्यक्रम बनाने का काम मिला। इसके बाद वे 1995 में ‘टीवी टुडे’ के साथ जुड़ गई। अलका ने ‘आजतक’ में संस्थापक सदस्य के रूप में करीब 6 साल तक काम किया। ‘आजतक’ का पहला करेंट अफेयर्स प्रोग्राम ‘साप्ताहिक आजतक’ अलका ने ही प्रड्यूस और एंकर किया। आजतक में अलका ने रिपोर्टिंग और एंकरिंग के कई मुकाम हासिल किए और उनके काम को काफी सराहा गया था।

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