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बड़ा सवाल : चुनावी कुम्भ में ABKM (कदम गुट ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष कहाँ है ? आपसी फुट बना राजनैतिक दलों में भी मजाक

कायस्थ खबर डेस्क I लोकसभा का चुनावी बिगुल बज चूका है, कायस्थ समाज के सभी संगठन अपने अपने राजनैतिक दलों के साथ अपने अपन दावे कर रहे है ऐसे में कायस्थ समाज के सबसे विवादित संगठन अखिल भारतीय कायस्थ महासभा कैसे ना कुछ कहे I तो कल अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के कदम गुट ने लखनऊ और पटना दो स्थानों पर प्रेस कांफ्रेंस ने की मजेदार बात ये है लोकसभा चुनावों को की गयी इन मीटिंग में इनके तथाकथित राष्ट्रीय अध्यक्ष सुबोध कान्त सहाय का जिक्र कहीं है I जिसके बाद सवाल उठ रहे है की क्या वाकी सुबोध कान्त सही अखिल भारतीय कायस्थ महासभा में है या नहीं  आप सोच रहे है की हम ऐसा क्यूँ कह रह एही तो भाई लखनऊ में हुई प्रेस कांफ्रेंस की आयी खबरों में जहाँ महामत्री कुलश्रेष्ठ ही सब कुछ कहते दिखे, मजेदार बात तो ये है राष्ट्रीय अध्यक्ष तो छोडिये प्रदेश अध्यक्ष ऐ के श्रीवास्तव भी इस पूरी प्रेस कान्फ्रेसं से गायब थे I बता दें की ए के श्रीवास्तव प्रदेश अध्यक्ष बन्ने के बाद से ही कायस्थ समाज के परिदश्य से गायब है, महासभा के लोगो की माने तो उनको किनारे कर दिया गया वहीं  पटना में हुई प्रेस कांफ्रेंस में तो इनके राष्ट्रीय सचिव अनूप कुमार एक अलग ही लाइन ले गये बकौल अनूप कुमार मीडिया में उनके प्रेस कांफ्रेस की खबरों  में भी राष्ट्रीय अध्यक्ष सुबोध कान्त सहाय का नाम नहीं बल्कि सर्वमान्य कार्यकारी अध्यक्ष राजीव रंजन को ही सब कुछ बताया गया I जिसके बाद कायस्थ समाज में सवाल उठने खड़े हुए की क्या ये सब इसलिए है की सुबोध कान्त सही कांग्रेसी नेता है और कायस्थ समाज का एक बड़ा हिस्सा भारतीय जनता पार्टी का समर्थन करता है ऐसे में अगर सुबोध कान्त सहाय कांग्रेस की जगह बीजेपी के कायस्थ उम्मीदवारो को समर्थन दे तो उनकी बड़ी फजीहत होगी या फिर उनको सही में ही किनारे कर दिया गया है और वो सिर्फ कांग्रेस हाई कमान को ये बताने एके लिए की वो ही राष्ट्रीय अध्यक्ष है का खेल चल रहा है वहीं अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कायस्थ खबर को बताया असल में ये तीन राज्यों में एक दुसरे को ना घुसने दें और अपने ही फायदा लेने के सिवा कुछ नहीं है I सुबोध कान्त सहाय रांची से बाहर नहीं देखना चाहते है जबकि राजीव रंजन बिहार में किसी और को आने नहीं देना चाहते है तो कुलश्रेष्ठ उत्तर प्रदेश में कायस्थों के मसीहा दिखना चाहते है  लेकिन असल बात ये है की इनका ज़मीनी जुड़ाव कायस्थों से कोई नहीं है अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के सर्वाधिक सदस्य वाले दुसरे गुट के राष्ट्रीय अध्यक्ष रवि नंदन सहाय ने २ दिन पहले ही पटना साहिब में  आर के सिन्हा के समर्थन की घोषणा की थी जिसके बाद अनूप कुमार ने मना कर दिया इधर एक और अखिल भारतीय कायस्थ महासभा २१५० के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनीष श्रीवास्तव भी मैदान में खुद का दावा करते हुए कयास्थ समाज के साथ खड़े नजर आते है हालाँकि वो व्यक्तिगत तोर पर कायस्थ समाज के लोकप्रिय नेता आर के सिन्हा के समर्थन में दिखते है वहीं  दिल्ली से संचालित एक और अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के राष्ट्रीय  अध्यक्ष योगेन्द्र श्रीवास्तव अभी इस सब पर चुप है I ऐसे में आज अखिल भारतीय कायस्थ महासभा का नाम कायस्थ समाज ही नहीं बल्कि राजनैतिक दलों में भी मजाक बन कर रह गया है I एक बड़े राजनैतिक दल की चुनाव समिति के सूत्र ने कायस्थ खबर को बताया की कायस्थों का कोई नेता नहीं है इसीलिए इनको कोई नहीं पूछ रहा बता दें अभी तक मिली जानकारी के अनुसार खुद कांग्रेस सुबोध कान्त सहाय को टिकट नहीं दे रही है, अब जिस समाज का राष्ट्रीय अध्यक्ष ही एक टिकट के मान चिरोरी कर रहा हो उसकी क्या इमेज रह जाती है  

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