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जागरण ग्रेटर नॉएडा को गौतम बुधनगर में कायस्थों का नाम भी नहीं पता है देखे न्यूज़ ? ऐसे अख़बार को कायस्थों को क्यूँ पढ़ना चाहए
कायस्थ खबर डेस्क I चुनावी मोहोल है सभी जातियों की गौतम बुध नगर में जातीय स्थिति पर चर्चा हो रही है I लेकिन शहर के प्रमुख अखबार दैनिक जागरण को ये नहीं पता नहीं है कि इस लोकसभा में कायस्थ समाज रहता है या नहीं
जागरण ने आज ग्रेटर नॉएडा ब्यूरो के हवाले से एक रिपोर्ट छापी है जिसमे दुनिया भर की जातियों को यहाँ वोटिंग फैक्टर दिखाया गया है I लेकिन उनको कायस्थ समाज दिखा नहीं , या पता नहीं या कोई अघोषित बहिष्कार है इसका जबाब तो जागरण के ले पत्रकार ही दे सकते है I
जागरण की इस खबर के विरोध में गौतम बुध नगर कायस्थ महासभा के संयोजक आशु भटनागर का कहना है जागरण की ये भूल तो निश्चित ही नहीं कही जा सकती है क्योंकि क्योंकि भी पत्रकार या ब्यूरो ऐसे आंकड़े देख कर ही रिपोर्ट बनाते है ऐसे ये कायस्थ समाज के खिलाफ साजिश ही कही जा सकती है I वस्तुत जागरण के पूर्वी उत्तर पदेश में ऐसा अब तक होता आया था लेकिन अब ये लगता है की पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी इसका असर आने लगा है
वही महासभा के कोषाध्यक्ष अम्बुज सक्सेना कहते है की जागरण का चुनावी जन्गादना में कायस्थों को इस तरह इगनोर करना बिलकुल भी सही नहीं है हमें लगता है की अगर जागरण जैसे अख़बार को कायस्थ दिखाई नहीं देते है तो कायस्थों को भी जागरण को देखना बंद कर देना चाहए
वरिष्ठ पत्रकार अतुल श्रीवास्तव कहते है कायस्थों के साथ इस तरह का भेदभाव एक विशेष लाबी में दिखाई देता रहा है और इसके खिलाफ आवाज़ उठाई जानी ज़रूरी है I मीडिया का इस तरह से सबसे प्रबुद्ध जाती को इग्नोर करना आश्चर्य पैदा करता है
नॉएडा के एक महिला कायस्थ समाजसेविका का कहना है की नॉएडा में समाज सेवा के सारे बड़े काम तो कायस्थ ही कर रहे है, चाहे वो शहर में ५ रूपए में खाना खिलाने वाले कायस्थ हो, संस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करने वाले कायस्थ हो या फिर स्कुलो में बेंच बाटने , अस्पतालों में अम्बुलेंस देने वाले हो तो फिर चुनावों के समय कायस्थों का ना दिखना पत्रकारों की भूल तो नहीं कही जा सकती है I इस सब से तो लगता है की कायस्थों को चुनावों में भाग ही नहीं लेना चाहए
वहीं देश भर में कायस्थों के संगठन को एक करने वाले कायस्थ वृन्द की मुख्य समन्वयिक्का का कहना है कायस्थ समाज मूलतः नौकरी पेशा है , अन्य जातियों की तरह रेल रोको या झगडे करता नहीं दीखता है इसलिए शायद हमारा सीधा होना इनको दिखाई नहीं देता है , इसलिए कायस्थों को एक होकर अपनी शक्ति राजनेता , मीडिया सबको दिखानी होगी तभी इन लोगो को कायस्थ समाज दिखाई देना शुरू होगा ,
वहीं कानुपर से पवन सक्सेना कहते है ये कायस्थों का दुर्भाग्य ही है की शहर की बड़ी जनसख्या को राजनेताओ के बाद मीडिया भी देख नहीं पा रही है
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मान्यवर, कायस्थों की जो राजनैतिक स्थिति ग्रेटर नोयडा में है लगभग वही स्थिति उत्तर प्रदेश के सभी नगरो में कहीं कम तो कहीं अधिक । मै स्वयं उत्तर प्रदेश के जनपद अमरोहा का निवासी हूं । मेरे इस नगर में कायस्थों की जनसंख्या लगभग ढाई तीन हजार होगी परंतु यहां कायस्थों की जनसंख्या को किसी भी समाचार पत्र द्वारा कभी भी आगणित नहीं किया गया है। परिणाम स्वरूप किसी भी राजनैतिक पार्टी द्वारा कायस्थों को महत्व नहीं दिया जाता है । अन्य हिंदुओ की देखादेखी किसी भी परिस्थिति अनुसार अपना मतदान कर आता है । इस कारण वह राजनैतिक दृष्टिकोण से निर्बल है । दूसरे यहां कायस्थ सभा द्वारा जिस व्यक्ति को मनोनीत किया गया है वह भी सक्रिय नहीं है । मै समझता हूँ कि कायस्थ संपूर्ण उत्तर प्रदेश में बिखरा हुआ होने के कारण राजनैतिक रूप से विकसित नहीं है ।संभव है सहमत होंगे।