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मुद्दा : यशवंत सिन्हा के खुद को दलित कहने पर समाज के प्रमुख नेता होने का दावा करने वाले आर के सिन्हा चुप क्यूँ हैं ?

कायस्थ खबर डेस्क I ३ दिन पहले यशवंत सिन्हा प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को संबोधित करते हुए तंज कसा कि सीताराम केसरी की तरह वो भी दलित है I जाहिर तोर पर अपनी राजनीती के लिए खुद के बहाने कायस्थ समाज को दलित कहने वाले यशवंत  सिन्हा को जागरूक समाज ने  उन्ही के ट्वीटर पेज पर जबाब भी दिया I जबाब देने वालो में डा ज्योति श्रीवास्तव , प्रसून श्रीवास्तव , धीरेन्द्र श्रीवास्तव , अम्बुज सक्सेना, पत्रकार अतुल श्रीवास्तव और कायस्थ खबर के आशु भटनागर जैसे नाम शामिल रहे I जो लोग उनको ट्वीट पर जब ना दे सके उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से भी यशवंत सिन्हा के खिलाफ अपनी बात रक्खी बल्कि उनसे समाज से माफ़ी भी मांगने को कहा और ना मांगने की स्थिति में उनका बहिष्कार तक करें की बाते आयी I लेकिन इन सब के बीच समाज को बीते ५ सालो में समाज की आवाज़ बन कर आये पटना से बीजेपी के राज्य सभा सांसद आर के सिन्हा की चुप्पी पर बहुत आश्चर्य हुआ I आखिर ऐसा क्या कारण रहा की आर के सिन्हा कायस्थ समाज को पीड़ा देने वाले इस बयान पर चुप्पी साध गये ? क्या व्यक्तिगत सम्बन्ध निभाने के लिए समाज की अस्मिता पर ना बोलना आर के सिन्हा के लिए सही है आखिर  समाज के शिरोमणि कहलाने वाले कायस्थ समाज की इस पीड़ा पर चुप क्यूँ है ? समाज को ऐसे समय में आर के सिन्हा का ना बोलना अखर रहा है , लोग दबी जुबां में पूछ रहे है की बीते दिनों शत्रुघ्न सिन्हा पर लगातार प्रहार करने वाले आज यशवंत सिन्हा पर चुप क्यूँ है ? कहीं यशवंत सिन्हा के पुत्र जयंत सिन्हा की बीजेपी में अच्छी स्थिति और उसके चलते पटना के टिकट को लेकर नुकसान फायदे के गणित ने तो आर के सिन्हा को इस गंभीर मुद्दे पर बोलने से तो नहीं रोक दिया है आखिर राजनीती में आखिरी पायदान तो चुनावी टिकट ही है जिसके लिए सामाजिक हित को तिलांजली देना कोई नया काम भी नहीं है I देखा जाए तो बीते एक बरस में आर के सिन्हा ने खुद को देश भर के कायस्थों से हटा कर खुद पटना तक ही सीमित भी कर लिया है I उनका संगत पंगत भी अब पटना में ही हो पा रहा है, पटना से इतर देश में कायस्थ सामाजिक कार्यक्रमों में उनकी उपस्थिति ना के बराबर रह गयी है , कायस्थ समाज के लोगो से संवाद के भी कम होने की शिकायते लगातार आ रही है ऐसे में क्या चुनावी लाभ के लिए समाज की अस्मिता पर चुप रहना एक सामाजिक नेता के लिए सही है इस पर अब सवाल उठने शुरू हो गए है ? क्या आर के सिन्हा अब कायस्थ समाज के सर्वमान्य नेता की जगह बीजेपी के पटना से सांसद भर रह गये ? और कायस्थ समाज के लिए एक बार फिर किसी नए सर्वमान्य नेता के लिए अपनी तलाश शुरू करने का वक्त आ गया है कायस्थ खबर इस सवाल को उठा रहा है आप भी अपने विचार नीचे कमेन्ट बाक्स में रख सकते हैं

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