काश रत्ना पुरकायस्थ आप खुद के बिहारी, बंगाली के साथ साथ कायस्थ होने पर भी गर्व करती !!
बिहार में छट पूजा को लेकर बिहार दूरदर्शन में कार्यरत रत्ना पुर कायस्थ एक बार फर चर्चा है में है I बीते तीन दिनों से मैत्रयी पुष्पा के बयान को लेकर रत्ना ने एक बयान दिया जिसमे उन्होंने कहा मैं, “पहले भारतीय हूं, फिर बिहारी और बंगाली हूं, बिंदी सिंदूर और साड़ी मेरी पहचान और संस्कार है, बाकी लोग??? सोचे, मेरी मर्जी, हम बिहारी सब पर भारी”।
लेकिन इस पुरे प्रकरण में कायस्थ समाज से आने वाली रत्ना पुर कायस्थ को खुद के बिहारी बंगाली होने पर तो गर्व हो रहा है लेकिन खुद को कायस्थ बताने वो उतना गर्व नहीं कर रही जितना बिहारी बंगाली पर , जबकि तसलीमा नसरीन जैसी लेखिका एक बार सगर्व घोषणा कर चुकी है की उनके पुरखे कायस्थ थे I
कायस्थ समाज इस बात पर भी हैरान है की जब जब हमारे समाज के सफल व्यक्तियों के खुद पर गर्व करने का मुद्दा आता है वो अपने कायस्थ होने पर गर्व नहीं करते बल्कि बाकी पहचान पर गर्व करने की कोशिश करते देखते है , जबकि जब उन्हें ज़रूरत होती है तब कायस्थ समाज ही याद आता है
कायस्थ खबर अब कायस्थ समाज पर ही ये फैसला छोड़ता है की क्या सही होना चाहए ?
बिहारी कायस्थ खुद को कायस्थ कम बिहारी ज़्यादा समझते हैं इसी वजह से ।मैंने खुद देखा है बिहारी कायस्थ के सामने कायस्थ ओर बिहार के दो अलग लोग खड़े हों तो वो बिहारी से बात करेंगे लेकिन कायस्थ से नही