मंदिर हमारी आस्था का केन्द्र है, यदि कोई मंदिर के नाम पर दान माँगता है तो वो ठीक नही है- कुलदीप श्रीवास्तव
आजकल कुछ संस्थायें भगवान के नाम पर चंदा माँगने के काम पर लगी हैं। उन सभी से मेरा कहना है कि इस तरह से चंदा माँगकर हमारे हिन्दू धर्म को कमजोर मत करिये। पहले से ही हम हिन्दुओं में भगवान के नाम पर आस्था की कमी है। मात्र गिने चुने लोगों के अंदर ही प्रभु के नाम आस्था और श्रद्धा बची है, कृपया उस आस्था को कमजोर करने का प्रयास ना करें।
भगवान के हर धाम के जीर्णोद्वार कराने की जिम्मेदारी भारत सरकार एवं प्रदेश सरकार की है। यदि किसी भी मंदिर का जीर्णोद्वार अथवा पुर्ननिर्माण करवाना है तो आप उस मंदिर से जुडी संस्था के सौ सदस्यों के हस्ताक्षर किये हुये प्रार्थना पत्र को लेकर मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री के पास जायें, मेरा विश्वास है कि आपका कार्य पूरा करने में भारत सरकार या प्रदेश सरकार आपकी पूर्णत: मदद करेगी। और यदि सरकार मदद करने के लिये मना करती है तो ये बात आप हम भक्तों और मीडिया के बीच उठाईये। निश्चित ही आपका कार्य पूरा होगा।
लेकिन ऐसा कोई संस्था नही करना चाहती क्योंकि यदि सरकार के पास मदद को गये तो सरकार इनसे हिसाब लेगी और इनका अपना जेब भरने वाला काम नही हो पायेगा। यदि जेब ही भरना है तो बिजनेस करो, बिजनेस लाइन में बहुत रुपया है, भरते रहो जेब। पर यदि अपनी जेब भरने के लिये हम भक्तो को या हमारे भगवान को अपने बिजनेस का साधन बनाया तो हम आवाज जरुर उठायेंगे।
मंदिर हमारी आस्था का केन्द्र है, वहाँ हम अपनी श्रद्धा से जाते हैं। और मंदिर मे जो कुछ चढाते हैं वो हमारी आस्था है। पर यदि कोई मंदिर के नाम पर दान माँगता है तो वो ठीक नही है। यही गलती हमारे हिन्दू धर्म में कुछ ढोंगी बाबा लोग करते आयें पर भगवान की शक्ति के आगे वो विफल हुये और वक्त पर उन्हे सजा भी मिलती है। श्री चित्रगुप्त भगवान सबके कर्मो का लेखा जोखा करते हैं, हर पाखंडी, ढोंगी, को एक ना एक दिन जरुर सजा मिलेगी श्री चित्रगुप्त जी के दरबार में। अत: अब भी वक्त है कि लोगों में आस्था जगाईये, ताकि लोग मंदिर में पूजा करने के लिये जायें। पर उनसे दान माँगकर उन्हे भगवान से दूर करने का प्रयास ना करें। और सभी भक्तो से भी निवेदन है कि किसी ढोंगी या पाखंडी बाबाओं से बचें जो आपके श्रद्धा का फायदा उठाकर आपसे दान लेकर अपनी जेब भरने का प्रयास निरंतर करते रहते हैं।
जय जय श्री चित्रगुप्त भगवान जी की
कुलदीप कुमार श्रीवास्तव
अध्यक्ष / संस्थापक
श्री चित्रगुप्त नवचेतना संस्थान