कशमकश : क्रेडिट स्नेचिंग के खेल में कायस्थों की मदद करना मत भूल जाना मेरे भाइयो, लड़ाई अभी बाकी है
मित्रो बीते ३ दिन से कायस्थ समाज के कई लोग अपने अपने स्तर से एक कायस्थ बच्ची के अपहरण के केस के सिलसिले में भाग दौर कर रहे थे I समाज का अलग अलग तरीको और जगहों से दबाब रंग लाया और अंतत बच्ची सकुशल घर वापस आ गयी I खैर बच्ची को कल इलाहबाद के स्टेशन से बरामद किया दिखाया गया और जो भी लोग इस प्रकरण में अपनी शक्ति से लगे थे उन्होंने समाज को खुश होकर बताना शुरू किया की वो बच्ची वापस आयी और सबने अपने अपने स्तर से किये गये कार्यो को बताया भी I
लेकिन शाम आते आते इस घटना के क्रेडिट लेने की होड़ आपसी द्वेष में बदलती दिख रही है I कायस्थखबर को मिली जानकारी के अनुसार कई लोग इस बात पर आपस में मनमुटाव करे बैठे है की उसका नाम क्यूँ आ गया , या उसने क्या किया , या आखिर उसने ऐसा क्यूँ किया I मुझे एक टिप्पड़ी ने विशेष तोर पर प्रभावित किया की वो ८ अलग अलग संगठनो के ग्रुप में है और हर संगठन दावा कर रहा है की इस केस में उसका हाथ है I
बंधुओ हाँ ये सच है की इस केस में किसी विशेष एक व्यक्ति के जरिये काम नहीं हुआ है I ये मिशन सफल हुआ है संयुक्त प्रयासों से , और असल में कायस्थ समाज में जब भी कोई बड़ा काम हुआ है तो वो संयुक्त प्रयासों से ही हुआ है, चाहे वो ये केस हो या फिर २ साल पहले हमीरपुर में हुआ निर्भया केस I
लेकिन सवाल ये बड़ा नहीं है की किसने कम किया किसने ज्यदा किया I मुझे रामायण में लंका विजय के दौरान रामेशवरम पर पुल बन्ने की कथा याद आती है उसमें नल नील के साथ मिल कर तमाम बानर अपना अपना सहयोग दे रहे थे की वहां एक गिलहरी भी छोटे छोटे तिनके डालने लगी , इस पर किसी ने कहा की हे गिलहरी जब पूरी वानर सेना इतने बड़े बड़े पत्थर डाल रही तो तेरे सहयोग की क्या ज़रूरत इस पर गिलहरी ने कहा की उसका प्रयास छोटा हो सकता है लेकिन प्रयास तो है ही I
इस प्रकरण में भी कई लोगो ने अपने अपने स्तर से काम किये किसी ने सरकार में सीधे मंत्रियो से बात की तो किसी ने DGP से , तो किसी ने अपने क्षेत्र में डीएम को पत्र लिखा I तो कोई परिवार के घर तक पहुंचा , कायस्थ खबर में हमने ध्यान रखा की सबके नाम हम दे पाए लेकिन खबरों में कभी व्यक्ति महत्वपूर्ण नहीं होते , खबर महत्वपूर्ण होती है इसलिए बहुत से नाम जाहिर तोर पर नहीं आये होंगे ऐसे में हो सकता है बहुत से नाम ना आये हो या हो सकता है बहुत से लोगो के दावे हमें गलत लगे I लेकिन अर्धविजय की इस रात को मैं आपसे सिर्फ एक बात कहना चाहता हुआ की जीत को हमेशा टीम को समर्पित करना चाहए यही सामाजिक हो या राजनैतिक , यही असली नेता की पहचान है I
आप ये सोचिये की जब प्रयास सबने किया, सामाजिक तोर पर किया और सामूहिक तोर पर किया , बिना ये सोचे किया की दूसरा जो कर रहा है तो हम क्यूँ करें? तो ये कितनी बड़ी बात थी क्योंकि हर दिल में आग थी की बच्ची ज़रूर मिलनी चाहए , आखिर समाज इतना कमज़ोर कैसे हो सकता है I
तो दोस्तों ये ये मशाल जो इस केस में जली वो बुझनी नहीं चाहए आपको इस केस से एक बार फिर ये तो समझ आया होगा की ना व्यक्ति महत्वपूर्ण है ना संगठन बल्कि कुछ महत्वपूर्ण है तो वो है हमारी एकता और जब ये एकता आपसी विवाद या प्रतिस्पर्धा को दूर कर कलेक्टिव अप्रोच में बदल जाती है तो कायस्थ समाज हमेशा सफल होता है I
लेकिन इस सफलता के साथ अभी कई सवाल बाकी है , की आखिर पुलिस लड़के और लड़की को अलग अलग जगह से क्यूँ बरामद करती है, क्या इस केस में कोई अलग एंगल भी काम कर रहा है , क्योंकि अगर पुलिस को लड़के की स्थिति की जानकारी थी तो उसने उस जगह क्यूँ नहीं पकड़ा जहाँ वो छुपे थे , लड़की क्यूँ बदहवास थी ? क्यूँ लड़की का मेडिकल पुलिस ने नहीं कराया ?
दोस्तों क्रेडिट आप सब लीजिये लेकिन इस मुहीम को धीमी ना पड़ने दीजिये I इस केस का अगला चरण अभी बाकी है उस परिवार में अकेले दबंगों से लड़ने की हिम्मत नहीं है , जिन ४ मुस्लिम लडको के नाम पर FIR हुई वो भी दबाब ना बना पाए या इस केस को कमजोर करने की साजिश ना करे इस पर भी अगली लड़ाई लड़ी जानी बाकी है I इसलिए ये समय आपस में मनमुताब का नहीं साथ खड़े दिखने का है